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कश्मीर को हथियाना के फिराक में पाक!

-रजनीश आनंद- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (4जुलाई) को जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर जाने वाले हैं, इस बात से वाकिफ पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिश की है. पिछले 24 घंटे में दूसरी बार घुसपैठ की कोशिश की गयी. यह बात दीगर है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों की कोशिश कामयाब नहीं हुई, लेकिन […]

-रजनीश आनंद-

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (4जुलाई) को जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर जाने वाले हैं, इस बात से वाकिफ पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिश की है. पिछले 24 घंटे में दूसरी बार घुसपैठ की कोशिश की गयी. यह बात दीगर है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों की कोशिश कामयाब नहीं हुई, लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आखिर क्यों पाक उसी वक्त सीमा पर अशांति फैलाने की कोशिश करता है, जब वहां भारत सरकार के कोई वरिष्ठ मंत्री या फिर प्रधानमंत्री जाने वाले होते हैं.

भारत के साथ संबंध सुधारना नहीं चाहता है पाक

जब से दुनिया के मानचित्र पर पाकिस्तान का उदय हुआ है, उसकी हरकतें ऐसी नहीं हैं कि इस बात पर भरोसा किया जाये कि वह भारत के साथ मधुर संबंध चाहता है. अभी जब भारत में नयी सरकार का गठन हुआ है और सरकार अपने पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने के निमित्त सहयोग कर रही है, पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.

मोदी की जम्मू कश्मीर यात्रा से पहले आतंकी घुसपैठ की कोशिश

सरकार गठन के बाद जब रक्षा मंत्री अरुण जेटली जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर जाने वाले थे, तो पाकिस्तान की ओर से युद्ध विराम का उल्लघंन किया गया और सीमा पर फायरिंग की गयी. वहीं अब, जब कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू कश्मीर की यात्रा पर जाने वाले हैं, तो पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की जा रही है. यह बातें इस बात का उदाहरण है कि पाक भारत के साथ संबंध मधुर करना नहीं चाहता है.

जम्मू-कश्मीर को हथियाना चाहता है पाकिस्तान

इस बात से हम सभी भलीभांति वाकिफ हैं कि जब भारत आजाद हुआ और उसका विभाजन करके पाकिस्तान का निर्माण हुआ, उस वक्त जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य था और उसके राजा हरि सिंह थे और उन्होंने पाकिस्तान की बजाय भारत में जम्मू-कश्मीर का विलय करना उचित समझा, जबकि यहां की बहुसंख्यक आबादी मुसलमानों की थी. संभवत: यही बात पाकिस्तान को चुभती रही है कि बहुसंख्यक आबादी मुसलमानों की होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर उसके हिस्से में नहीं गया.

पाकिस्तान में नहीं दी जाती है जनमत को तरजीह

पाकिस्तान में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है. लेकिन अगर पाकिस्तान के इतिहास पर नजर डालें, तो पायेंगे कि वहां हमेशा ही जम्हूरियत को सेना अपने पैरों तले कुचलते रही है. जम्हूरियत के पैरोकार पाकिस्तान में ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सके हैं. संभवत: यह भी एक कारण है कि भारत-पाकिस्तान संबंध नहीं सुधरते हैं.

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