राजस्थान में जिसकी रही सरकार लोस चुनाव में वही रहा असरदार, लेकिन इस बार टूट सकती है परंपरा, गुटबाजी में उलझी कांग्रेस
विधानसभा और लोकसभा परिणामों में रहा है दिलचस्प रिश्ता राजस्थान के चुनावी इतिहास का एक बड़ा दिलचस्प पहलू यह रहा है कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार रही है, लोकसभा चुनाव में यही असरदार रही है. राज्य में ढाई महीने पहले विधानसभा चुनाव हुआ. यह लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जाता रहा है. इस […]
विधानसभा और लोकसभा परिणामों में रहा है दिलचस्प रिश्ता
राजस्थान के चुनावी इतिहास का एक बड़ा दिलचस्प पहलू यह रहा है कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार रही है, लोकसभा चुनाव में यही असरदार रही है.
राज्य में ढाई महीने पहले विधानसभा चुनाव हुआ. यह लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जाता रहा है. इस चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर रही. जाहिर है, लोकसभा चुनाव में भी दोनों के बीच की टक्कर दिलचस्प होगी. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतीं और सरकार बनायी. उसे 39.3% वोट मिले, वहीं भाजपा को 38.8% वोट हासिल हुए, मगर एक नारा भी जगा था- मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं.
माना जा रहा है कि मतदाताओं की नाराजगी सीएम वसुंधरा राजे से थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार क्लीन स्वीप करते हुए राज्य की सभी 25 सीटें जीत ली थीं. ऐसा ही प्रदर्शन कांग्रेस ने 1984 में किया था. अब भाजपा के लिए मिशन-25 के तहत सभी सीटों पर स्ट्राइक करना बड़ी और कड़ी चुनौती होगी. कांग्रेस ने यहां किसी भी पार्टी से गठबंधन से मना कर दिया है. दोनों ही पार्टियां जिताऊ उम्मीदवारों के नाम तय करने और रणनीति बनाने में जुटी हैं.
स्थानीय गुटबाजी में उलझी है कांग्रेस
प्रदेश में कांग्रेस सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश्ााध्यक्ष व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गुट में बंटी है. विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी तय करने व प्रचार अभियान से लेकर सीएम का नाम तय होने तक दोनों गुटों में विवाद दिखा.
यही वजह है कि वसुंधरा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबैंसी को कांग्रेस पूरा भुना नहीं पायी. अब लोकसभा प्रत्याशियों को लेकर भी तनातनी है, ऐसे में कांग्रेस वांछित फायदा नहीं उठा पायेगी.
20 लाख मतदाता पहली बार डालेंगे वोट
राज्य में मतदाता सूचियों पर अभी काम जारी रहने के कारण अंतिम आंकड़ा आना बाकी है, लेकिन फरवरी तक के आंकड़ों के हिसाब से कहा जा सकता है कि इस लोकसभा चुनाव में करीब 20 लाख मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. पिछली बार यह संख्या करीब 15.80 लाख थी. प्रदेश में वर्ष 2014 के मुकाबले इस बार मतदाता संख्या में 60 लाख से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है.
भाजपा का मुद्दा : एयर स्ट्राइक, आरक्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा हमले के बाद सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र टोंक से चुनावी बिगुल फूंका था. वहीं बालाकोट एयर स्ट्राइक के दिन ही चुरू में रैली की. भाजपा नेता और कार्यकर्ता एयर स्ट्राइक के मुद्दे पर मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. वहीं, आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर भी वे सवर्ण समाज को खींचने की कोशिश कर रहे हैं.
कांग्रेस का मुद्दा : किसानों की कर्जमाफी
कांग्रेस किसान कर्जमाफी, वृद्धावस्था पेंशन जैसे सामाजिक कल्याण के कामों को गिना रही है. कांग्रेस सरकार ने चुनाव से पहले किसानों की कर्जमाफी की गति बढ़ा दी है. सहकारी बैंकों से लोन लेने वाले करीब 19 लाख किसानों का 7000 करोड़ का कर्ज माफ किया जा चुका है. इसमें 50 रुपये से 3 लाख रुपये से ज्यादा तक का कर्ज लेने वाले 1007 किसान शामिल हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में कर्जमाफी व पेंशन वृद्धि से बने माहौल को कांग्रेस अपने पक्ष में मान रही है.
टूट सकती है परंपरा
पिछले तीन परिणाम बताते हैं कि राजस्थान में जिस पार्टी की सरकार होती है, उसे लोकसभा सीटें ज्यादा मिलती हैं. हालांकि एयर स्ट्राइक से उठी राष्ट्रवाद की भावना और मोदी सरकार की योजनाओं के सहारे भाजपा यह परंपरा तोड़ने की तैयारी में है. दूसरी ओर कांग्रेस भी भाजपा से सीटें छीनने के लिए कमर कस रही है.
वसुंधरा राजे और गहलोत प्रमुख चेहरे
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे यहां भाजपा का प्रमुख चेहरा हैं. कांग्रेस में गहलोत व पायलट चुनाव प्रमुख का किरदार निभाएंगे. हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ केंद्रीय नेता नितिन गडकरी और स्मृति ईरानी भी प्रचार की कमान संभालेंगे. कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी के दौरे करवाने का भी दबाव डाल रहे हैं.
ग्रामीण इलाकों में स्थानीय मुद्दे
शहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीय मुद्दे हावी हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकोें में अब भी स्थानीय मुद्दों पर चर्चा हो रही है. भाजपा राजस्थान के किसानों को केंद्रीय योजना का लाभ न मिलने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है. आरोप है कि राज्य सरकार ने केंद्र को पात्र किसानों की सूची नहीं सौंपी. वहीं, कांग्रेस शहरी मतदाताओं पर मोदी का प्रभाव कम करने के लिए, भाजपा पर सेना के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगा रही है और एयर स्ट्राइक पर सवाल भी उठा रही है.
जनता की शिकायत
राज्य में बेरोजगारी, पेयजल व सिंचाई के क्षेत्र में पांच वर्षों में खास बदलाव नहीं आया. औद्योगिकीकरण में भी वृद्धि नहीं हुई है. एक दर्जन से अधिक जिले फ्लोराइड से प्रभावित हैं. आधे से अधिक भूभाग पर सिंचाई के लिए किसानों को वर्षा पर ही निर्भर रहना पड़ता है.
विधानसभा चुनाव के नतीजे
कुल सीटें : 200
पार्टी 20132018
भाजपा 16373
कांग्रेस 21 100
बसपा 02 06
अन्य 07 21
राज्य में लोकसभा चुनावों के नतीजे
वर्ष कुल सीटें परिणाम
1951 20 कांग्रेस 9, आरआरपी 3, बीजेएस 1, अन्य 7
1957 22 कांग्रेस 19, निर्दलीय 3
1962 22 कांग्रेस 14, स्वतंत्र पार्टी 3, बीजेएस 1, अन्य 4
1967 23 कांग्रेस 10, स्वतंत्र पार्टी 8, बीजेएस 3, निर्दलीय 2
1971 23 कांग्रेस 14, बीजेएस 4, स्वतंत्र पार्टी 3, निर्दलीय 2
1977 25 जनता पार्टी 24, कांग्रेस 1
1980 25 कांग्रेस 18, जेपी 4, जेपीएस 2, कांग्रेस (यू) 1
1984 25 कांग्रेस 25, भाजपा 0
1989 25 भाजपा 13, जेडी 11, सीपीआइएम 1, कांग्रेस 0
1991 25 कांग्रेस 13, भाजपा 12
1996 25 कांग्रेस 12, भाजपा 12, एआइआइसी (टी) 1
1998 25 कांग्रेस 19, भाजपा 5, एआइआइसी (एस) 1
1999 25 भाजपा 16, कांग्रेस 9
2004 25 भाजपा 21, कांग्रेस 4
2009 25 कांग्रेस 20, भाजपा 4, अन्य 1
2014 25 भाजपा