पुलवामा हमले में हुआ था वर्चुअल सिम का उपयोग, सीमापार हैंडलर से संपर्क में था आदिल, भारत लेगा अमेरिका से मदद

श्रीनगर : पुलवामा हमले के दौरान आतंकियों ने ‘वर्चुअल सिम’ का इस्तेमाल किया था. भारत सेवा प्रदाता से जानकारी मांगने के लिए अमेरिका से अनुरोध करेगा. अफसरों ने बताया कि इन सिमों का प्रयोग पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर और कश्मीर तथा पाकिस्तान के उसके हैंडलर द्वारा किया गया था. आतंकवादी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2019 5:55 AM
श्रीनगर : पुलवामा हमले के दौरान आतंकियों ने ‘वर्चुअल सिम’ का इस्तेमाल किया था. भारत सेवा प्रदाता से जानकारी मांगने के लिए अमेरिका से अनुरोध करेगा.
अफसरों ने बताया कि इन सिमों का प्रयोग पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर और कश्मीर तथा पाकिस्तान के उसके हैंडलर द्वारा किया गया था. आतंकवादी हमले वाली जगह की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा त्राल के अलावा अन्य मुठभेड़ स्थानों पर की गयी तलाश के सिरों को जोड़ते हुए पाया गया कि हमलावर आदिल डार सीमा के उस तरफ जैश के साथ लगातार संपर्क में था.
मालूम हो कि घातक हमले का मुख्य मास्टरमाइंड मुदासिर खान त्राल में मुठभेड़ में मारा गया है. अधिकारियों ने बताया कि यह काम करने का एकदम नया तरीका है, जिसमें सीमा पार से आतंकवादी एक वर्चुअल सिम का इस्तेमाल कर रहे थे, जो अमेरिका के एक सेवा प्रदाता द्वारा बनाया गया था.
अमेरिका की एक सेवा प्रदाता कंपनी ने बनाया था सिम
क्या है वर्चुअल सिम
सीमा पार के आतंकियों ने आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए ‘वर्चुअल सिम’ इस्तेमाल करने का बिलकुल नायाब तरीका निकाला था. अमेरिका स्थित सेवा प्रदाता कंपनी से यह सिम खरीदा गया था. इस तकनीक में कंप्यूटर द्वारा मोबाइल नंबर जेनरेट किया जाता है और यूजर को सेवा प्रदाता का एप अपने स्मार्ट फोन पर डाउनलोड करना होता है. इस नंबर को सोशल साइट फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर आदि से जोड़ कर इस्तेमाल किया जा सकता है.
मुदस्सिर और दूसरे हैंडलर के संपर्क में था डार
अधिकारियों के मुताबिक, पुलवामा हमले में डार लगातार मुदस्सिर खान और दूसरे हैंडलरों के संपर्क में इसी तकनीक के इस्तेमाल के जरिये संपर्क में था. ये उन नंबरों का इस्तेमाल कर रहे थे, जो \"+1′ से शुरू हो रहे थे. ये मोबाइल स्टेशन इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डायरेक्ट्री नंबर (एमएसआइएसडीएन) होते हैं, जो अमेरिका में इस्तेमाल किये जाते हैं.
अधिकारी ने बताया कि अमेरिका को भेजी गयी रिक्वेस्ट में वर्चुअल सिम का इस्तेमाल करने वाले फोन नंबरों और इन्हें कब एक्टिवेट किया गया था, इस बारे में जानकारी मांगी गयी है. इसके अलावा इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस की भी जानकारी मांगी गयी है. मुंबई हमले में भी आतंकियों ने जाली पहचानपत्रों का इस्तेमाल किया था. इसे ध्यान में रखते हुए सुरक्षा एजेंसियां पता कर रही हैं कि इन वर्चुअल सिम के लिए रकम किसने दी.

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