बिलकिस बानो मामले में SC ने गुजरात सरकार को दिये निर्देश, दो हफ्ते में दोषी पुलिसकर्मियों पर की जाए कार्रवाई

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात सरकार निर्देश दिया कि 2002 के बिलकिस बानो मामले में दोषी ठहराये गये पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी की जाये.प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस निर्देश के साथ ही बिलकिस बानो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2019 7:06 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात सरकार निर्देश दिया कि 2002 के बिलकिस बानो मामले में दोषी ठहराये गये पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी की जाये.प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस निर्देश के साथ ही बिलकिस बानो की ज्यादा मुआवजा दिलाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई 23 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी. बिलकिस बानो ने गुजरात सरकार की पांच लाख रुपये का मुआवजा देने संबंधी पेशकश स्वीकार करने से पीठ के सामने इनकार कर दिया.

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पीठ ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि बंबई हाईकोर्ट के फैसले में दिये गये संकेतों के अनुरूप इन अधिकारियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी की जाये. पीठ ने गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिये गये बयान के मद्देनजर याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

मेहता ने अदालत में बयान दिया कि इन अधिकारियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी हो जायेगी. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित पांच लाख रुपये के मुआवजे की राशि को अंतरिम बताया और कहा कि दूसरे के लिए नजीर बनने वाला मुआवजा दिलाने के लिए दायर याचिका पर 23 अप्रैल को सुनवाई की जायेगी.

इससे पहले, याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही बानो की वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. उन्होंने कहा कि एक आईपीएस अधिकारी अब भी गुजरात में सेवारत है और वह इस साल सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जबकि अन्य अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनकी पेंशन व सेवानिवृत्त का लाभ रोकने जैसी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

गुजरात में अहमदाबाद के निकट रणधीकपुर गांव में एक भीड़ ने तीन मार्च, 2002 को बिलकिस बानों के परिवार पर हमला किया था. इस दौरान पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, जबकि उसके परिवार के छह सदस्य किसी तरह उग्र भीड़ से बचकर निकलने में सफल हो गये थे.

हाईकोर्ट ने चार मई, 2017 को भारतीय दंड संहिता की धारा 218 (अपनी ड्यूटी का निर्वहन ना करने) और धारा 201 (सबूतों से छेड़छाड़ करने) के तहत पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों को दोषी ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ दो डॉक्टरों और आईपीएस अधिकारी आरएस भगोड़ा सहित चार पुलिसकर्मियों की अपील 10 जुलाई, 2017 को खारिज कर दी थी.

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