सियासी गणित : आंध्र-महाराष्ट्र से मिलती थी कांग्रेस पार्टी को ‘धार’
नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश की 42 सीटों में 13 और महाराष्ट्र की 48 सीटों में 12 ऐसी रही हैं, जिन्हें कांग्रेस का किला कह सकते हैं. इन सीटों पर कांग्रेस 10 से 13 बार तक लोकसभा चुनाव जीती है. कांग्रेस के इतिहास में सबसे बुरा दौर माने जाने वाले आपातकाल के बाद हुए 1977 […]
नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश की 42 सीटों में 13 और महाराष्ट्र की 48 सीटों में 12 ऐसी रही हैं, जिन्हें कांग्रेस का किला कह सकते हैं. इन सीटों पर कांग्रेस 10 से 13 बार तक लोकसभा चुनाव जीती है. कांग्रेस के इतिहास में सबसे बुरा दौर माने जाने वाले आपातकाल के बाद हुए 1977 के चुनावों में भी इन सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी. हालांकि, 2014 के चुनाव में दोनों राज्यों के इन जिताऊ संसदीय क्षेत्रों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. जिन 25 संसदीय क्षेत्रों पर कांग्रेस को गुमान था, वह ताश के पत्तों की तरह ढह गये. महाराष्ट्र की नांदेड़ सीट को छोड़ सभी सीटें कांग्रेस हार गयी.
सियासत के रंग का उतरना और चढ़ना तो कोई नयी बात नहीं है, लेकिन जिस तरह से आंध्र और महाराष्ट्र ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का साथ छोड़ा, वह अचंभा भरा है. आंध्र की 30 फीसदी सीटें ऐसी रही हैं, जो करीब-करीब हमेशा कांग्रेस के कब्जे में रहीं. इन पर कांग्रेस 15 में 11 से 12 बार तक जीती है. वहीं, महाराष्ट्र की 25 फीसदी सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस की तूती बोलती रही है.
आंध्र की 13 सीटें जहां कांग्रेस 10 बार से ज्यादा जीती
गुंटूर और नेलौर 12 बार
अनंतपुर, खम्माम, कुरनूल, ओंगोल,
विजयवाड़ा, राजमपेर और तिरूपित 11 बार
निजामाबाद, महंदूपुर, राजमुंदरी,
सिकंदराबाद 10 बार
महाराष्ट्र की 25 फीसदी सीटों पर कांग्रेस की बोलती थी तूती
नंदरबार 14 में से 13 बार
सांगली 13 में से 12 बार
लातूर, नांदेड, रामरेक, सोलापुर 14 में 11 बार
देश में 54 सीटें ऐसी जहां 10 बार से ज्यादा जीत मिली है कांग्रेस को
रायबरेली 14 चुनाव में 12 बार
अमेठी 13 चुनाव में 11 बार