Loksabha Elections 2019 : भाजपा के ‘फॉर्मूला 75’ के फेर में ताई को लौटानी पड़ी ‘इंदौर की चाबी’

इंदौर : लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन वर्ष 1989 में जब इंदौर क्षेत्र से अपना पहला संसदीय चुनाव लड़ीं, तब उन्होंने अपने तत्कालीन मुख्य प्रतिद्वंद्वी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रकाशचंद्र सेठी से कहा था कि चूंकि वह इंदौर की बहू के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. इसलिए अब इस सीट की चाबी उन्हें सौंप दी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2019 8:12 PM

इंदौर : लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन वर्ष 1989 में जब इंदौर क्षेत्र से अपना पहला संसदीय चुनाव लड़ीं, तब उन्होंने अपने तत्कालीन मुख्य प्रतिद्वंद्वी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रकाशचंद्र सेठी से कहा था कि चूंकि वह इंदौर की बहू के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. इसलिए अब इस सीट की चाबी उन्हें सौंप दी जाये. तब से ‘इंदौर की चाबी’ का चुनावी जुमला चल निकला और सतत 30 सालों से यह चाबी महाजन के पास ही थी.

हालांकि, ‘ताई’ (मराठी में बड़ी बहन का संबोधन) के नाम से मशहूर वरिष्ठ भाजपा नेता के इस बार चुनाव नहीं लड़ने की शुक्रवार की घोषणा के बाद कयास लगाये जा रहे हैं कि यह चाबी किसी नये चेहरे के हाथ में जाने वाली है.

इंदौर लोकसभा सीट से भाजपा के चुनावी टिकट के दावेदारों के रूप में शहर की महापौर व पार्टी की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़, भाजपा के दो अन्य विधायक – रमेश मैंदोला और उषा ठाकुर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व लोकसभा सांसद कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत और इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन शंकर लालवानी के नाम चर्चा में हैं.

वैसे इंदौर से लगातार आठ बार चुनाव जीतने वाली महाजन को मध्यप्रदेश की इस सीट से भाजपा के टिकट का शीर्ष दावेदार माना जा रहा था. लेकिन इस सीट से भाजपा उम्मीदवार की घोषणा में देरी के चलते अटकलों के सियासी गलियारों में यह सवाल जोर पकड़ रहा था कि क्या लालकृष्ण आडवाणी (91) और मुरलीमनोहर जोशी (85) सरीखे वरिष्ठतम भाजपा नेताओं की तरह महाजन को भी चुनावी समर से विश्राम दिया जायेगा?

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक पत्रिका को दिये ताजा साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि यह उनकी पार्टी का फैसला है कि 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को लोकसभा चुनावों का टिकट नहीं दिया जायेगा. शाह ने इस साक्षात्कार में हालांकि महाजन का नाम नहीं लिया था. लेकिन महाजन ने वक्त की नजाकत को भांपते हुए खुद घोषणा कर दी कि वह आसन्न लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी.

अगले ही शुक्रवार को 76 साल की होने जा रहीं निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ने अपनी इस घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा, मैं यहां-वहां से 75 साल की कैटेगरी (75 साल से ज्यादा उम्र के भाजपा नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के फॉर्मूले) के बारे में सुन रही थी. अब तो मैं इस कैटेगरी में भी आ गयी हूं. भाजपा की वरिष्ठतम नेताओं में शुमार महाजन ने बताया कि उन्होंने इंदौर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले के बारे में शाह को भी पत्र भेज दिया है और पार्टी को इस सीट से उम्मीदवार की घोषणा में अब कोई संकोच नहीं करना चाहिए.

मीरा कुमार के बाद लोकसभा अध्यक्ष के अहम ओहदे पर पहुंचने वाली दूसरी महिला नेता बनने का गौरव हासिल करने वाली महाजन ने गुजरे चार दशकों में सियासत की ऊबड़-खाबड़ राहों पर सधी चाल से सफर तय किया.

मूलतः महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाली महाजन वर्ष 1965 में विवाह के बाद अपने ससुराल इंदौर में बस गयी थीं. उन्होंने वर्ष 1982 में इंदौर नगर निगम के चुनावों में पार्षद पद की उम्मीदवारी से अपने चुनावी करियर की कामयाब शुरूआत की थी. वर्ष 1989 में इंदौर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीतने से पूर्व वह वर्ष 1984-85 में इंदौर नगर निगम की उप महापौर भी रही थीं.

भाजपा संगठन में कई अहम पदों की जिम्मेदारी दिये जाने के बाद उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार (1999-2004) की अवधि में मानव संसाधन विकास, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विभागों का मंत्री भी बनाया गया था. वह संसद की कई समितियों की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के चुनावों में महाजन ने परंपरागत इंदौर क्षेत्र में अपने नजदीकी प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल को चार लाख 66 हजार 901 मतों के विशाल अंतर से हराया, तब वह एक ही सीट और एक ही पार्टी से लगातार आठ बार लोकसभा पहुंचने वाली देश की पहली महिला सांसद बन गयी थीं.

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