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पहला चरण : 20 राज्यों की 91 सीटों पर 17% दागी, 146 पर गंभीर मामले

बिहार की चार और पश्चिम बंगाल की दो सीटों के लिए भी मतदान 11 को लोकसभा चुनाव, 2019 के पहले चरण में 20 राज्यों की 91 संसदीय सीटों के लिए मतदान 11 अप्रैल को होगा. इनमें बिहार की चार लोकसभा सीटें औरंगाबाद, जमुई, गया और नवादा तथा पश्चिम बंगाल की दो सीटें कूच बिहार और […]

बिहार की चार और पश्चिम बंगाल की दो सीटों के लिए भी मतदान 11 को
लोकसभा चुनाव, 2019 के पहले चरण में 20 राज्यों की 91 संसदीय सीटों के लिए मतदान 11 अप्रैल को होगा. इनमें बिहार की चार लोकसभा सीटें औरंगाबाद, जमुई, गया और नवादा तथा पश्चिम बंगाल की दो सीटें कूच बिहार और अलीपुर दुआर भी शामिल हैं. ये सीटें कई मायने में महत्वपूर्ण हैं. इन 91 सीटों पर 17 फीसदी दागी प्रत्याशी हैं, जबकि 146 ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या जैसे मामले दर्ज हैं.
औरंगाबाद
यह सीट ज्यादातर समय कांग्रेस व जनता दल के पास रही है. समता पार्टी, जदयू व भाजपा को भी एक-एक बार चुनावी जीत मिली. यह एसएन सिन्हा की सीट रही है. वह सात बार यहां से एमपी रहे. 2014 में भाजपा ने यह सीट जीती थी.
नवादा
1952 से अब तक इस सीट पर 15 बार आम चुनाव हुए हैं. छह बार कांग्रेस व चार बार भाजपा जीती. दो बार राजद व दो बार सीपीएम ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. 2009 व 2014 में भाजपा जीती थी. इस बार लोजपा को यह सीट मिली है.
गया
गया एससी के लिए आरक्षित सीट है. इस सीट से कांग्रेस और जनता दल ने दो बार हैट्रिक बनायी. भाजपा को दो बार इस सीट पर लगातार दूसरी जीत मिली. 2009 व 14 में वह जीता थी. इस बार सीट जदयू के खाते में गयी है.
कूच बिहार
यहां 16 बार आम व दो बार उपचुनाव हुए हैं. कांग्रेस को 1971 तक तीन बार आम व एक बार उपचुनाव में जीत मिली. फॉर्ब्ड ब्लाॅक का सबसे ज्यादा समय तक कब्जा रहा. 12 बार आम चुनाव जीते. 2014 में टीएमसी ने यह सीट जीती.
जमुई
यहां से कांग्रेस व सीपीआइ भी जीतती रही है. 2009 में जदयू के भूदेव चौधरी यहां से जीते थे. 2014 में यह सीट लोजपा को मिली थी और चिराग पासवान यहां से जीते थे. चिराग पासवान इस बार भी यहां से उम्मीदवार हैं.
अलीपुर दुआर
1977 से 2014 तक आरएसपी का कब्जा था. इस अवधि में 10 बार आम चुनाव में जीती. 2014 में टीएमसी ने उसके इस गढ़ को तोड़ा. टीएमसी के दृष्टि तिर्की इस सीट से जीते थे. हालांकि जीत-हार का अंतर ज्यादा मतों से नहीं था.
सर्वाधिक ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लड़ रहे चुनावी जंग
पहले चरण में 239 पोस्ट ग्रेजुएट, 201 ग्रेजुएट व 150 ग्रेजुएट प्रोफेशनल्स हैं. 10वीं पास उम्मीदवारों की संख्या 240 है, जबकि 161 बारहवीं पास है. 66 उम्मीदवार निरक्षर, 19 साक्षर, 60 पांचवीं पास और 65 आठवीं पास हैं.
एडीआर ने देशभर में चुनाव लड़ रहे 1279 में से 1266 प्रत्याशियों का विश्लेषण किया है. इनमें राष्ट्रीय दलों के 225, राज्य स्तरीय दलों के 124, गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों के 364 तथा 599 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं.
महिलाएं को सिर्फ 7.56% टिकट
पहले चरण के चुनाव के लिए महिलाओं को टिकट देने में राजनीतिक दल एक बार फिर फिसड्डी साबित हुए हैं. पहले चरण में सिर्फ 89 महिलाएं हैं. पुरुष प्रत्याशी 1177 हैं. यानी महिलाएं सिर्फ 7.56 प्रतिशत है.
सिर्फ 37% उम्मीदवार 40 साल तक के
इस बार भी युवाओं को टिकट देने में पार्टियां बहुत पीछे रह गयीं. पहले चरण में उम्र के हिसाब से सिर्फ 37% उम्मीदवार 40 साल तक के हैं. शेष उम्मीदवारों में से 174 तो 60 साल से ऊपर के हैं.
आयु वर्गप्रत्याशी
25-30105
31-40306
41-50308
51-60283
61-70155
71-80+19
पहले चरण में 159 करोड़पति
दल के हिसाब से करोड़पति उम्मीदवार
83% कांग्रेस
यानी 69 उम्मीदवार
78% भाजपा
यानी 65 उम्मीदवार
100% टीडीपी
यानी सभी 25 उम्मीदवार
कांग्रेस के 35 व भाजपा के 30 प्रत्याशियों पर केस
पहले चरण के 91 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव में उतरे प्रत्याशियों में 17% दागी हैं. इनमें कांग्रेस के 83 में 35 और भाजपा के 83 में से 30 प्रत्याशियों पर आपराधिक केस दर्ज हैं. कांग्रेस के 42% उम्मीदवार दागी हैं. इनमें 27% पर गंभीर केस हैं. वहीं, भाजपा के 36% दागियों में 19% पर गंभीर केस हैं.
146 पर गंभीर केस
पहले चरण के 213 उम्मीदवारों ने शपथ पत्र देकर अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है. इनमें 146 के खिलाफ गंभीर आपराधिक केस हैं. 10 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनके खिलाफ हत्या और 25 के खिलाफ हत्या के प्रयास के मामले विचाराधीन हैं. 12 उम्मीदवार सजायाफ्ता है.

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