नागपुर : परवान पर है यहां चुनावी गर्मी
रवि बुले 11 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग में जिन बड़े नेताओं का भविष्य मतपेटियों में कैद होगा, उनमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी शामिल हैं. वे लगातार दूसरी जीत के इरादे से यहां जमकर भागदौड़ कर रहे हैं. गडकरी के पास सपनों की ऊंची उड़ान है, परंतु आम आदमी के पास कुछ जमीनी सवाल […]
रवि बुले
11 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग में जिन बड़े नेताओं का भविष्य मतपेटियों में कैद होगा, उनमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी शामिल हैं. वे लगातार दूसरी जीत के इरादे से यहां जमकर भागदौड़ कर रहे हैं.
गडकरी के पास सपनों की ऊंची उड़ान है, परंतु आम आदमी के पास कुछ जमीनी सवाल हैं. देश के सबसे गर्म क्षेत्रों में आने वाले विदर्भ के इस प्रमुख शहर में पिछले दिनों अचानक तापमान बढ़ा. मौसम के साथ चुनावी गर्मी भी बढ़ गयी है. पोस्टर-बैनर-लाउडस्पीकर का जमाना भले लद गया, लेकिन शहर में कांग्रेस ने खासतौर पर नव-विकसित इलाकों में जरूर बड़े होर्डिंग लगाये हैं. मगर पोस्टर पर कांग्रेस का कोई नेता नहीं है. नागपुर से चुनाव लड़ रहे, नाना पटोले भी नहीं.
नागपुर में नाना पटोले बाहरी हैं. लोग कहते हैं कि, अगर उनसे काम पड़ा तो क्या 162 किमी दूर भंडारा-गोंदिया जायेंगे? वहीं, गडकरी शहर को मेट्रो-एयरपोर्ट और हाईवे देना चाहते हैं. उनकी नजर भविष्य पर है. परंतु शहरवासियों को महंगाई से राहत चाहिए और चाहिए ठंडे पड़े बाजार में नगद-नारायण की रफ्तार.
स्थानीय बनाम राष्ट्रीय
चुनाव राष्ट्रीय है, पर मुद्दे स्थानीय. लोग असमंजस में हैं कि वोट किस आधार पर दें?
गडकरी को स्थानीय होने का लाभ है, लेकिन महंगाई, रोजगार और मंदे धंधे का क्या वह कोई हल दे सकते हैं? लोगों को लगता है कि इन मुद्दों पर बात हो. युवा गडकरी पर विश्वास करते हैं, मगर सवाल भी करते हैं कि सीएम देवेंद्र फडणवीस नागपुर पर क्यों ध्यान नहीं दे रहे?