भाजपा और कांग्रेस जमीनी लड़ाई में पीछे

।।हंडिया पर सपा का कब्जा बरकरार।।लखनऊः समाजवादी पार्टी ने हंडिया विधान सभा सीट पर कब्जा बरकरार रखा है. महेश नारायण सिंह के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर दो जून को हुए उप चुनाव में सपा प्रत्याशी प्रशांत सिंह ने जीत दर्ज की है. महेश नारायण सिंह के पुत्र होने की वजह से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:45 PM

।।हंडिया पर सपा का कब्जा बरकरार।।
लखनऊः समाजवादी पार्टी ने हंडिया विधान सभा सीट पर कब्जा बरकरार रखा है. महेश नारायण सिंह के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर दो जून को हुए उप चुनाव में सपा प्रत्याशी प्रशांत सिंह ने जीत दर्ज की है. महेश नारायण सिंह के पुत्र होने की वजह से सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने प्रशांत को इस सीट से प्रत्याशी घोषित किया था.

प्रशांत ने अपने प्रतिद्वंदी बसपा के डा.पंकज त्रिपाठी को 26820 मतों से हराया. जबकि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी तो पांच हजार से भी कम मत पा कर अपनी जमानत राशि से हाथ धो बैठे. कुछ माह पूर्व भाटपाररानी विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस, भाजपा और बसपा को सपा से ऐसी ही मात मिली थी, इससे अब यह साफ हो गया है कि यूपी में भाजपा, कांग्रेस और बसपा जमीनी लड़ाई में सपा से काफी पीछे हैं.

वैसे इस नतीजे को लेकर सूबे में संशय नहीं था. इस उपचुनाव में दिलचस्पी का विषय तो यह था कि लोग देखना चाहते थे कि सपा के मुकाबिल कौन खड़ा है या लोकसभा चुनाव से पहले क्या परिदृश्य होगा. लोगों की यह जिज्ञाषा मायावती द्वारा अखिलेश सरकार के खिलाफ चलाए जा रहे आलोचना अभियान और सूबे में ब्राह्मण समाज को बसपा से जोड़ने के लिए की जा रही कवायद के चलते उत्पन्न हुई थी. जिसे मायावती ने अपने को ब्राह्मण समाज का हितैषी बताते हुए लोकसभा की 20 सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशियों को टिकट देने के साथ ही सतीश चन्द्र मिश्र को प्रदेश में सम्मेलन कर ब्राह्मण और दलित समाज के लोगों को एकजुट करने में लगाकर और हवा दे दी.

इसीक्रम में मायावती हडिया सीट से पंकज त्रिपाठी को बसपा का प्रत्याशी बनाया. पंकज के रिश्तेदार राकेशधर त्रिपाठी मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. उन्होंने मायावती ने बीते विधानसभा चुनावों के ठीक पहले भ्रष्टाचार के आरोप में पार्टी से निकाल दिया था पर दो माह पूर्व मायावती ने उन्हें फिर बसपा में शामिल कर लिया. पार्टी महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र की पहल पर मायावती ने यह सोचकर राकेशधर को बसपा में लिया था कि हडिया के उपचुनावों में बसपा को परम्परागत दलित व मुस्लिम समाज के वोटों के साथ ही ब्राह्मण वोट भी उन्हें पार्टी में लेने के चलते मिलेंगे. जिससे बसपा प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित हो जाएगी.

मायावती की यह मंशा पूरी नहीं हुई. कहा जा रहा है कि राकेशधर त्रिपाठी की छवि के चलते ही हडिया में ब्राह्मण समाज ने बसपा प्रत्याशी से दूरी बनायी और प्रशांत के पक्ष में मतदान किया. हडिया के लोगों ने मायावती के ब्राह्मण प्रेम को हासिए पर रखते हुए जहां बसपा को झटका दिया, वही कांग्रेस व भाजपा को यह संदेश भी दे दिया कि यह दोनों दल मीडिया के जरिए सरकार के खिलाफ चाहे जितनी भी आक्रामकता दिखाएं लेकिन जमीनी लड़ाई में काफी पीछे हैं और सूबे के लोग विकल्प के तौर पर उन्हें स्वीकारने को जनता अभी तैयार नहीं है.

हडिया सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अमृत लाल भारती को 3809 और भाजपा प्रत्याशी विद्याकांत तिवारी को मिले 2880 मत जनता के इस संदेश की पुष्टि करते हैं. यहां सपा के जीते प्रत्याशी प्रशांत को 81656 और बसपा के पंकज त्रिपाठी को 54836 मत मिले. बसपा प्रत्याशी की हार को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं ने बुधवार को कोई टिप्पणी देने से मना कर दिया. कहा जा रहा है कि दो उपचुनावों में मिली हार से बसपा प्रमुख मायावती बेहद दुखी हैं. ऐसे में वह राज्य में होने वाले किसी भी उपचुनावों में प्रत्याशी ना खड़ा करने का निर्णय ले सकती हैं. भाजपा और कांग्रेस के नेता भी उपचुनावों में मिली हार से खिसयाए हुए हैं और इन दलों के रोज बयान जारी करने वाले प्रवक्ताओं ने अपने प्रत्याशी की हार पर मीडिया से कोई बात नहीं की.
(राजेन्द्र कुमार, लखनऊ )

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