भुवनेश्वर में पूर्व आइएएस अपराजिता और आइपीएस अरूप के बीच मुकाबला, जानें कौन कितनी बार जीता
पांच बार बीजद जीता है, भाजपा को खाता खुलने की उम्मीद भुवनेश्वर से मोनालिसा पंडा भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर इस पर इस बार दो पूर्व प्रशासकों के बीच टक्कर है. भाजपा ने इस बार भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाली अपराजिता षड़ंगी को मैदान में उतारा है, जबकि बीजू जनता दल ने मुंबई […]
पांच बार बीजद जीता है, भाजपा को खाता खुलने की उम्मीद
भुवनेश्वर से मोनालिसा पंडा
भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर इस पर इस बार दो पूर्व प्रशासकों के बीच टक्कर है. भाजपा ने इस बार भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाली अपराजिता षड़ंगी को मैदान में उतारा है, जबकि बीजू जनता दल ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर तथा पूर्व आइपीएस अरूप पटनायक पर दांव लगाया है.
कांग्रेस ने भुवनेश्वर की सीट अपने सहयोगी माकपा के लिए छोड दी है और माकपा ने जनार्दन पति को यहां से उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर बीजद व भाजपा के बीच सीधी टक्कर होने के आसार है.
भुवनेश्वर सीट बीजद का गढ़ रहा है. बीजद नेता प्रसन्न पाटशाणी इस सीट से 1998 से लगातार पांच बार जीतते आ रहे हैं, लेकिन इस बार बीजद ने उनका टिकट काट कर अरुप को टिकट दिया है. भाजपा ने भी अपने पूर्व के प्रत्याशी पृथ्वीराज हरिचंदन को इस बार बदला है .
भुवनेश्वर लोकसभा सीट के अधीन सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इन सभी सीटों में से फिलहाल एक भी सीट भाजपा के पास नहीं हैं. सभी सीटों पर बीजद का कब्जा है . इससे इस लोकसभा क्षेत्र में बीजद की मजबूत सांगठनिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है .
अपराजिता बिहार की बेटी, भुवनेश्वर की डीएम रहीं हैं
2019 चुनाव में स्थिति बदली बदली-सी लग रही है. कारण भाजपा का अपराजिता षडंगी को मैदान में उतारना. मूल रूप से बिहार के भागलपुर की अपराजिता ओड़िशा कैडर की आइएएस रही हैं. ओड़िशा में उनका विवाह हुआ है.
अपने सेवा कार्यकाल में वह एक डाइनामिक अधिकारी रहीं. भुवनेश्वर शहर खोर्धा जिले में आता है. अपराजिता यहां की जिलाधिकारी रह चुकी हैं. भुवनेश्वर लोकसभा सीट के अधीन आने वाले सभी विधानसभा क्षेत्र उनका कार्यक्षेत्र रहे. भुवनेश्वर महानगर निगम के कमिश्नर के रूप में भी उन्होंने कार्य किया है. इस कारण भुवनेश्वर शहर के चप्पे-चप्पे से वह वाकिफ हैं. इसके बाद वह जन शिक्षा विभाग के सचिव रही और इस दौरान उन्होंने अपने कार्य की गहरी छाप छोड़ी . इस कारण एक दक्ष (एफिसिएंट) अधिकारी के रूप में उनकी एक छवि है .
कौन कितनी बार जीता
कांग्रेस : 8 बार : 1952, 1957, 1962, 1967, 1971, 1980, 1984, 1996
बीजद : 5 बार : 1998, 1999, 2004, 2009, 2014
सीपीआइएम : 3 बार : 1977, 1989, 1991
भाजपा-बीजद में सीधी टक्कर
यहां बीजद-भाजपा में सीधी टक्कर है. प्रचार में अपराजिता अरूप से काफी आगे दिख रही हैं. अरूप पटनायक का न तो जनसंपर्क है और न ही व्यक्तिगत वोट. उनका भरोसा केवल बीजद मुखिया नवीन पटनायक हैं .
अरूप पटनायक को लेकर बीजद में उत्साह नहीं
बीजद ने पूर्व आइपीएस अरूप पटनायक को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि टिकट देते समय पार्टी प्रमुख नवीन पटनायक ने उनकी भारी प्रशंसा की थी, लेकिन इसका असर बीजद कार्यकर्ताओं पर दिख नहीं रहा है. कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी से बीजद नेता चिंतित हैं.
भाजपा उम्मीदवार अपराजिता षडंगी गत छह माह से नौकरी से सेवा निवृत्ति लेने के बाद से ही सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में गांव-गांव जाकर लोगों से मिल रही हैं और उनके सुख-दुख में शामिल हो रही हैं, लेकिन अरूप पटनायक की स्थिति ऐसी नहीं है. अरूप पटनायक राजनीति में शामिल होने के बाद से पार्टी के कार्यकर्ता व आम लोगों से जिस ढंग से घुलना मिलना चाहिए था, वैसा उन्होंने नहीं किया है.
बीजद के कार्यकर्ता भी इसे दबी जुबान में स्वीकार कर रहे हैं. ओड़िशा में लोस के साथ विस के चुनाव भी हो रहे हैं, कार्यकर्ता लोकसभा के लिए वोट नहीं मांग रहे.