महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव : बिना चुनाव लड़े ही उद्धव ठाकरे का पसीना छुड़ा रहे हैं मनसे के राज ठाकरे
मुंबई से विनोद अग्निहोत्री महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच मुकाबले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे भी एक जबर्दस्त धुरी बन गये हैं. बिना चुनाव मैदान में उतरे ही राज ठाकरे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने नयी चुनौती खड़ी कर दी है. भाजपा- शिवसेना गठजोड़ […]
मुंबई से विनोद अग्निहोत्री
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच मुकाबले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे भी एक जबर्दस्त धुरी बन गये हैं. बिना चुनाव मैदान में उतरे ही राज ठाकरे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने नयी चुनौती खड़ी कर दी है. भाजपा- शिवसेना गठजोड़ के खिलाफ व कांग्रेस एनसीपी गठबंधन के पक्ष में राज खुल कर मोर्चा संभाल रहे हैं.
वे न सिर्फ मुंबई बल्कि राज्य में अन्य स्थानों पर भी जन सभाएं कर रहे हैं. राज की सभाओं में उमड़ रही भीड़ ने भाजपा के साथ-साथ उद्धव की भी नींद उड़ा दी है. राज के निशाने पर अगर पीएम मोदी हैं, तो इरादा उद्धव से शिवसेना और बाला साहेब की विरासत छीनने और खोई जमीन वापस पाने का है. हर जगह राज ठाकरे की इस नयी भूमिका की चर्चा है. जिन मुद्दों पर विपक्ष के दिग्गज भी बगलें झांकते हैं, उन्हें राज जोरदार तरीके से उठा रहे हैं.
ठेठ मराठी अंदाज से लोगों को याद आ रहे बाला साहब ठाकरे
अपने ठेठ मराठी अंदाज में राज इन मुद्दों को जिस तरह उठाते हैं, तो लोगों को बाल ठाकरे की याद ताजा हो जाती है. उन्होंने जिस तरह हमला बोलना शुरू किया है, उससे शिवसेना के जनाधार में उनका आकर्षण बढ़ने लगा है. राज कह रहे हैं कि मोदी ने पांच साल मांगे थे. अब राहुल गांधी को मौका क्यों नहीं मिलना चाहिए.
मोदी के खिलाफ जो मुद्दे उद्धव उठाते थे, वही राज के हथियार
जिन मुद्दों को राज उठा रहे, ये वही मुद्दे हैं, जिन्हें भाजपा से चुनावी समझौते से पहले उद्धव ठाकरे अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय के जरिये उठाते थे या फिर सभाओं में बोलते थे. तब शिवसेना के जो कार्यकर्ता जोश से भर उठते थे. अब उद्धव के तेवर नरम पड़ जाने की वजह से वे राज से जुड़ रहे हैं. राज भी उसे बखूबी समझ रहे हैं और वह चुन-चुन कर उन्हीं इलाकों में जा रहे हैं.