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इस चक्रवात को बांग्लादेश ने दिया है नाम, अगले साइक्लोन का नाम देगा भारत

नयी दिल्ली : चक्रवात ‘फनी’ के ओड़िशा तट पर पहुंचने के साथ ही लोगों में यह जिज्ञासा पैदा हो गयी कि इन तूफानों के नाम कैसे रखे जाते हैं. शुक्रवार को आये इस तूफान का नाम बांग्लादेश ने ‘फणि’ सुझाया था. भारतीय मौसम विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि ‘फणि’ का मतलब […]

नयी दिल्ली : चक्रवात ‘फनी’ के ओड़िशा तट पर पहुंचने के साथ ही लोगों में यह जिज्ञासा पैदा हो गयी कि इन तूफानों के नाम कैसे रखे जाते हैं. शुक्रवार को आये इस तूफान का नाम बांग्लादेश ने ‘फणि’ सुझाया था. भारतीय मौसम विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि ‘फणि’ का मतलब सांप का फण है. लेकिन सवाल है कि इन चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं.

2004 से शुरू हुआ चक्रवाती तूफानों का नामकरण : विश्व मौसम विज्ञान संगठन/एशिया आर्थिक एवं सामाजिक आयोग और पैसीफिक पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन ने ओमान के मस्कट में वर्ष 2000 के अपने 27वें सत्र में इस बात पर सहमति जतायी कि वे बंगाल की खाड़ी व अरब सागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों के नाम तय करेंगे. लंबे विचार-विमर्श के बीच चक्रवाती तूफानों का नामकरण सितंबर 2004 से शुरू हुआ.
भारत समेत आठ देश सुझाते हैं नाम : बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से सटे आठ देश नामों के सुझाव देते हैं, जिन्हें क्रमिक तौर पर सूचीबद्ध किया गया है. इन देशों में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमा, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाइलैंड शामिल हैं. ये देश वर्णक्रमानुसार तूफानों के नाम सुझाते हैं.
सबसे पहले नामकरण का मौका मिला बांग्लादेश को : अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार, आठ देशों की सूची में बांग्लादेश पहले स्थान पर है. सितंबर 2004 में गुजरात तट के पास अरब सागर में उठे साइक्लोन का नाम सुझाने का मौका बांग्लादेश को मिला और उसने ‘ओनिल’ नाम सुझाया.
पिछले साल दिसंबर में थाइलैंड की ओर से सुझाया गया चक्रवात ‘फेथाई’ बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न हुआ था. अगला चक्रवात जब भी आयेगा, तो उसका नाम भारत के सुझाने पर ‘वायु’ रखा जायेगा.
अगले तूफान
का नाम होगा ‘वायु’, सबसे पहले नाम सुझाया बांग्लादेश ने
चक्रवात के 64 नामों में से 57 का हो चुका है इस्तेमाल
सूची में शामिल आठ देशों की ओर से सुझाये गये 64 नामों में से 57 इस्तेमाल में लाये जा चुके हैं. भारत की ओर से सुझाये गये नामों में अग्नि, जली, बिजली, आकाश शामिल हैं. श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान ने क्रमश: माला, हेलेन और निलोफर के नाम सुझाये थे.
अटलांटिक और इस्टर्न पैसिफिक में नाम होते हैं रिपीट
विश्व मौसम विज्ञान संगठन/एशिया आर्थिक एवं सामाजिक आयोग और पैसीफिक पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन संगठन में चक्रवात की सूचियों का इस्तेमाल वर्णक्रमानुसार हो सकता है और उन्हें कुछ वर्षों के अंतराल पर दोहराया नहीं जाता. जबकि अटलांटिक और इस्टर्न पैसिफिक सूचियों में नामों को कुछ वर्षों के अंतराल पर दोहराया जाता है
ओड़िशा सरकार ने आंध्रप्रदेश का किया धन्यवाद, फनी के बारे में सही-सही जानकारी देने पर जताया आभार
आंध्रप्रदेश के रीयल टाइम गवर्नेंस सेंटर की ओड़िशा सरकार ने प्रशंसा की है. सरकार ने सेंटर को फोनी के बारे में सही सही जानकारी देने के लिए धन्यवाद दिया. आरटीजीसी पिछले दो दिनों से चक्रवात के मार्ग पर नजर रख रहा था और ओड़िशा को उसकी जानकारी दे रहा था.
आंध्रप्रदेश में भारी नुकसान
23.25 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा
2000 से अधिक बिजली के खंभे उखड़े
218 मोबाइल फोन के टावर क्षतिग्रस्त
11 जिलों से करीब 11 लाख लोगों को हटाया गया
406 हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी फसलें, 187 हेक्टयर में धान, 555 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंगफली, कपास, ज्वार, तंबाकू और सूर्यमुखी की फसलों को नुकसान
3334 परिवारों ने ली है राहत शिविरों में शरण
04 जिलों (आंध्रप्रदेश) में आचार संहिता के प्रावधानों में ढील

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