अच्छा! तो इस कारण वाराणसी में रद्द हुआ 71 प्रत्याशियों का नामांकन
वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी ताल ठोकने के लिए देश के कई राज्यों से वाराणसी आये उम्मीदवारों की उम्मीदें थोक में पर्चा खारिज होने से धरी की धरी रह गई. संभावना जतायी जा रही थी कि तेलंगाना के बाद वाराणसी में भी दो ईवीएम से मतदान होगा मगर ऐसा नही हुआ. बता दें […]
वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी ताल ठोकने के लिए देश के कई राज्यों से वाराणसी आये उम्मीदवारों की उम्मीदें थोक में पर्चा खारिज होने से धरी की धरी रह गई. संभावना जतायी जा रही थी कि तेलंगाना के बाद वाराणसी में भी दो ईवीएम से मतदान होगा मगर ऐसा नही हुआ. बता दें कि इस बार तेलंगाना के निजामाबाद लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा नामाकंन हुआ है.
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 102 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था. इनमें से 71 प्रत्याशियों का पर्चा रद्द हो गया. वाराणसी के जिला निर्वाचन अधिकारी ने इतनी भारी मात्रा में पर्चा निरस्त होने के कई कारण बताये हैं. पहले निर्दलीय फिर समाजवादी पार्टी के टिकट पर आखिरी दिन नामांकन करने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का पर्चा अनापत्ति प्रमाणपत्र जमा नहीं करने के कारण रद्द हुआ, लेकिन बाकी प्रत्याशियों का किस कारण से रद्द हुआ, ये हम आपको बताते हैं.
लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में 19 मई को होने वाले चुनाव के लिए वाराणसी संसदीय सीट पर 22 अप्रैल से 29 अप्रैल तक चली नामांकन प्रक्रिया के दौरान 102 उम्मीदवारों ने 119 नामांकन पत्र दाखिल किए. नामांकन पत्रों की जांच के दौरान 71 उम्मीदवारों के 88 पर्चे खारिज हो गए. बाद में नामांकन पत्रों की वापसी के दौरान पांच प्रत्याशियों ने पर्चे वापस ले लिए, इस तरह पीएम मोदी को चुनाव में टक्कर देने के लिए सिर्फ 25 लोग हैं.
जानकारी के मुताबिक, जिन 71 लोगों के पर्चे खारिज हुए, उसमें सबसे ज्यादा संख्या ऐसे लोगों की थी, जो 10 प्रस्तावक भी नहीं जुटा सके. नियमानुसार, निर्दलीय उम्मीदवारों को 10 प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है, जो जिस संसदीय क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किए हों, वहां के स्थानीय होने चाहिए। 20 से ज्यादा पर्चे इसी कारण निरस्त हुए. कुछ ऐसे पर्चे भी रद्द किए गए, जिन्होंने 10 प्रस्तावकों के नाम तो लिखे थे लेकिन उनकी वोटर आईडी कार्ड की फोटोकॉपी नहीं जमा की थी और ना ही प्रस्तावकों के हस्ताक्षर किए थे.
तेलंगाना से आए किसानों की संख्या इसमें सबसे ज्यादा थी. इसके अलावा कई प्रत्याशियों के पुराने हलफनामे और शपथपत्र दाखिल होने के कारण नामांकन रद्द हुआ. निर्वाचन आयोग के नियमों के मुताबिक, उम्मीदवार को नामांकन के समय नया हलफनामा और शपथपत्र दाखिल करना होता है. इसके अलावा दो उम्मीदवारों ने तो बिना जमानत राशि बैंक में जमा किए ही अंतिम दिन नामांकन कर दिया था.