BJP के जम्मू कश्मीर पदाधिकारी ने सुरक्षा कवर छोड़ी, पार्टी कार्यकर्ताओं को सुरक्षा की मांग की

श्रीनगर : भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने सरकार की ओर से पार्टी कार्यकर्ताओं को दी गयी सुरक्षा वापस लेने और शनिवार को आतंकवादियों द्वारा पार्टी के एक नेता की हत्या के विरोध में मंगलवार को अपनी सुरक्षा लौटा दी. भाजपा के प्रदेश महासचिव (संगठन) अशोक कौल ने अनंतनाग में शनिवार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2019 2:36 PM

श्रीनगर : भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने सरकार की ओर से पार्टी कार्यकर्ताओं को दी गयी सुरक्षा वापस लेने और शनिवार को आतंकवादियों द्वारा पार्टी के एक नेता की हत्या के विरोध में मंगलवार को अपनी सुरक्षा लौटा दी.

भाजपा के प्रदेश महासचिव (संगठन) अशोक कौल ने अनंतनाग में शनिवार को पार्टी के जिला उपाध्यक्ष गुल मोहम्मद मीर की हत्या और घाटी में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने में प्रशासन की नाकामी के विरोध में यहां प्रेस एन्क्लेव में विरोध-प्रदर्शन के बाद अपनी सुरक्षा और जम्मू कश्मीर पुलिस की सुरक्षा शाखा द्वारा दिये गये वाहन लौटा दिया.

कौल ने कहा कि वह विरोध दर्ज कराने के लिये अपनी सुरक्षा छोड़ रहे हैं, जबतक कि राज्य में सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को सुरक्षा नहीं दी जाती. मीर की हत्या की निंदा करते हुए भाजपा प्रदेश महासचिव ने कहा कि पार्टी नेता की हत्या राज्य प्रशासन की नाकामी है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार से हमारे अनुरोध करने के बाद उन्हें (मीर को) जून 2018 में सुरक्षा दी गयी थी. उनकी सुरक्षा में एक कांस्टेबल और एसपीओ को लगाया गया था. लेकिन दुर्भाग्य से दिसंबर 2018 में कांस्टेबल को हटा लिया गया. इसके बाद उनके घर पर हमला हुआ, लेकिन वह लड़े और न सिर्फ खुद को बचाया बल्कि एसपीओ की भी जान बचायी.”

उन्होंने कहा, ‘मैंने उन्हें एक बार फिर सुरक्षा मुहैया कराने के लिये 13 जनवरी 2019 को एसएसपी को पत्र लिखा था. मुझे बताया गया कि उन्हें कोई खतरा नहीं है और उन्हें घर लौट जाना चाहिए क्योंकि वह जवाहर नगर (श्रीनगर) स्थित पार्टी कार्यालय में रह रहे थे. इसके बाद उनसे एसपीओ की सुरक्षा भी वापस ले ली गयी. (सरकार की) शिकायत प्रकोष्ठ ने भी उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये पिछले महीने पुलिस को पत्र लिखा था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. यह प्रशासन की नाकामी है.”

कौल ने पूछा कि अगर मीर को कोई खतरा नहीं था तो 2018 में उन्हें सुरक्षा क्यों दी गयी. मीर की हत्या के लिये उन्होंने राज्य प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया.

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