उम्र की पिच पर शतक पूरा कर चुके दुलीचंद बोले- आज के नेता दोयम दर्जे के, नेता तो इंदिरा गांधी थीं
गांधरा (रोहतक ) : उम्र की पिच पर एक शतक पूरा कर चुके दुलीचंद ने स्वतंत्र भारत में अब तक हुए हर चुनाव में मतदान में हिस्सा लिया है लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस है कि मतदान अब सत्ता हथियाने का जरिया बन गया है और इसके लिए राजनीतिक दल समाज में जहर घोलने […]
गांधरा (रोहतक ) : उम्र की पिच पर एक शतक पूरा कर चुके दुलीचंद ने स्वतंत्र भारत में अब तक हुए हर चुनाव में मतदान में हिस्सा लिया है लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस है कि मतदान अब सत्ता हथियाने का जरिया बन गया है और इसके लिए राजनीतिक दल समाज में जहर घोलने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं . हरियाणा में चुनावी राजनीति के चलते समाज को जाट और गैर जाट में विभाजित किए जाने को खतरनाक प्रवृत्ति करार देते हुए दुलीचंद कहते हैं, ‘‘ ये सब भाजपा सरकार का करवाया हुआ है . इसके नतीजे बहुत खतरनाक होंगे .
” उन्होंने कहा ‘‘ किसी जमाने में चौधरी देवीलाल ने ‘बांटो और राज करो’ की यही नीति अपनायी थी . उसके बाद जाट और गैर जाटों का जो भाईचारा बिगड़ा था, उसकी भरपाई करने में सालों लग गए थे . अब एक बार फिर भाजपा उसी इतिहास को दोहरा रही है. मतदाताओं को यह बात समझनी चाहिए और देशहित में मतदान करना चाहिए.” दुलीचंद स्वयं ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जिनकी संख्या यहां रह रहे अन्य समुदाय के लोगों की तुलना में बहुत कम है . अपना मतदाता पहचान पत्र दिखाते हुए वह कहते हैं ‘‘इसमें मेरी उम्र सौ साल लिखी हुयी है लेकिन ये उम्र दो साल कम है.” इस हिसाब से कहें तो वह दिसंबर 2019 में 102 साल के हो जाएंगे . दिल्ली से रोहतक को जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या नौ पर सांपला तहसील के तहत आने वाले गांव गांधरा की आबादी करीब 6,197 है.
यह जाट बहुल गांव है. तहसील सांपला के करीब 22 गांवों में दुलीचंद सबसे बुजुर्ग मतदाता हैं. यह गांव हरियाणा की दस लोकसभा सीटों में से एक रोहतक सीट के तहत आता है जहां 12 मई को मतदान होगा. यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा और भाजपा के अरविंद शर्मा के बीच है. अपने गांव में दुलीचंद ने पीटीआई भाषा के साथ खास बातचीत में बताया,‘‘ देश को आजादी पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी ने दिलायी थी लेकिन आज कुर्सी के सैंकड़ों दावेदार हैं . पांच साल में एक बार वोट मांगने आते हैं और उसके बाद कोई शक्ल नहीं दिखाता .” दुलीचंद कहते हैं, ‘‘ मैंने 1952 से लेकर आज तक पंजे पर (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ) मोहर लगायी है और इस बार भी कांग्रेस को ही वोट दूंगा.”
इस उम्र में भी रोजाना करीब छह किलोमीटर पैदल खेतों तक जाने वाले दुलीचंद आज के राजनेताओं को दोयम दर्जे का बताते हुए कहते हैं, ‘‘नेता तो इंदिरा गांधी थीं, सख्त प्रशासक और दमदार नेता . किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि कोई उनके आगे बोल ले .” इस उम्र में भी दुलीचंद की याददाश्त गजब की है. वह भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा की गयी ‘आपरेशन ब्लू स्टार’ की कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहते हैं,‘‘खालिस्तान समर्थक, पंजाब को देश से अलग करना चाहते थे.
इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में छुपे आतंकवादियों का सफाया कर दिया था.” इसी पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों के खिलाफ की गयी सर्जिकल स्ट्राइक पर दुलीचंद कहते हैं, ‘‘ मोदी की बातों का कोई भरोसा नहीं है.” उम्र के इस पड़ाव पर भी दुलीचंद खूब घी दूध पीते हैं और क्रिकेट उन्हें पसंद है. ऊंचा सुनाई देने के बावजूद टीवी पर हर मैच देखते हैं और विराट कोहली उनके पसंदीदा खिलाड़ी हैं .