ब्रिक सम्मेलन 2014: प्रधानमंत्री मोदी क्या लेकर आयेंगे ?
नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के आर्थिक मंच पर तेजी से उभर रहे देशों के संगठन ब्रिक्स के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील दौरे पर हैं..प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद मोदी पिछले माह अपनी पहली विदेश यात्रा पर दक्षेस के सदस्य तथा पड़ोसी देश भूटान की यात्रा कर चुके […]
नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के आर्थिक मंच पर तेजी से उभर रहे देशों के संगठन ब्रिक्स के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील दौरे पर हैं..प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद मोदी पिछले माह अपनी पहली विदेश यात्रा पर दक्षेस के सदस्य तथा पड़ोसी देश भूटान की यात्रा कर चुके हैं लेकिन दक्षेस से बाहर की उनकी यह पहली यात्रा है.
मोदी की प्रधानमंत्री बनने के बाद पड़ोसी मुल्कों से बाहर की यह पहली बड़ी यात्रा है. और भारत को मोदी से बहुत सारी उम्मीदें है कि जिस तरह से वे अपनी बातों को भारत में रखकर इतनी बडी विजय हासिल की है विदेशी मामलों के संबंध में भी वे उस तरह की जीत हासिल कर पाते हैं या नहीं. ब्रिक्स में उनकी यात्रा के दौरान जिन विशेष मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है उनपर एक संक्षिप्त नजर-
गौरतलब है किब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.
1. ब्रिक्स विकास बैंक का निर्माण के काम को गति
ब्राज़ील में होने जा रहे ब्रिक्स सम्मेलन से लोगों की सबसे पहली आशा यही है कि यह सम्मेलन ब्रिक्स विकास बैंक के निर्माण के काम को नई गति देगा. पिछले साल दक्षिणी अफ्रीका में ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स विकास बैंक का निर्माण करने के निर्णय पर मुहर लगा दी गई थी. लेकिन इस विषय से जुड़े बहुत से सवाल अभी तक हल नहीं किए गए हैं.
अभी तक यह माना जा रहा है कि बैंक की मूल पूँजी 50 अरब डॉलर रखी जाए. लेकिन चीन इस पूँजी में अपना हिस्सा बढ़ाकर बैंक की मूल पूँजी 100 अरब डॉलर तक करना चाहता है और इसके बदले में बैंक से जुड़े सवालों को हल करने में अपनी बात का वजऩ बढ़ाना चाहता है.
इस बारे में चर्चाओं का दौर जारी है कि प्रत्येक सदस्य राष्ट्र का योगदान कितना रहेगा और इसका मुख्यालय कहां स्थित होगा, शंघाई में या नयी दिल्ली में. अब मोदी इसे किस तरह हल करते हैं यह देखने की बात है.
2. वित्तीय प्रणाली में अमेरिका की तानाशाही खत्म करने पर विचार
विश्व मुद्रा और वित्तीय प्रणाली में एकाधिकार की स्थिति अमरीका को विश्व राजनीतिक मंच पर तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाने का अधिकार देती है. विश्व राजनीति में इस एक भूमण्डलीय महाशक्ति के तानाशाही पूर्ण रवैये को तब तक नहीं बदला जा सकता है, जब तक की अर्थव्यवस्था में उसकी प्रभुत्वशाली स्थिति को न बदल दिया जाए. ब्रिक्स-दल के सदस्य देश ऐसा ही करने की कोशिश कर रहे हैं. और संभावना है कि इस बैठक में इस पर भी चर्चा होगी.
3. विश्व बैंक व अन्य वित्तीय संगठनों से संबंधित मुद्दा
संभावना है कि बैठक में संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों में सुधार की आवाज उठायी जाएगी.अधिकारियों का कहना है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों की जरूरत को समर्थन मिलने और साथ ही विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं में सुधार की आवाज उठाने के प्रति आशावान है.
4. किसी बहुपक्षीय संगठन पर अपनी विचार रखने का पहला मौका
किसी बहुपक्षीय मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का मोदी के पास यह पहला मौका होगा.और पूरे देश की निगाहें उनपर होगी की मोदी अपनी बातों की किस रुप और कितने प्रभावी तौर पर रखेंगे. रविवार रात बर्लिन में प्रवास के बाद मोदी सोमवार को ब्राजील के उत्तर पूर्वी तटीय शहर फोर्तालेजा के लिए रवाना होंगे जहां 15 जुलाई को ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं की शिखर बैठक होगी.
5. दक्षिण अमेरिकी नेताओं के साथ भी होगी मुलाकात
दक्षिण अमेरिका के नेताओं के साथ मुलाकात के जरिए प्रधानमंत्री को लातिन अमेरिकी क्षेत्र के साथ संपर्क कायम करने का मौका मिलेगा जिनमें अर्जेंटीना, बोलीविया, चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, गुयाना, पराग्वे, पेरू, सूरीनाम, उरूग्वे और वेनेजुएला जैसे देशों के प्रमुख शामिल हैं.
भारत की उम्मीदें है कि इन नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की मुलाकात से इन देशों के साथ पहले से ही घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी और यह इन संबंधों को अधिक शक्तिशाली बनाने का अवसर प्रदान करेगा.
6. जलवायु परिवर्तन को लेकर चर्चा होने की उम्मीद
जलवायु परिवर्तन केवल ब्रिक्स की ही नहीं बल्कि मौजूदा समय में एक वैश्विक समस्या है. किन्तु इस बैठक में आगामी जलवायु परिवर्तन को लेकर होने वाली बैठक के संबंध में चर्चा किये जाने की संभावना है. ग्रीन हाउस गैसों को लेकर अमेरिका और अन्य विकसितदेशों के रुख के बारे में भी मुद्दा उठने की संभावना है.
7. भारत-चीन संबंध को लेकर असर
इस बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात होनी है. विगत कुछ दिनों में भारत-चीन के रिश्तों में भारत द्वारा सकारात्मक पहल किये जाने के बावजूद खटास आयी है.
पिछले महीने चीनी विदेश मंत्री वांग शी की दिल्ली यात्रा के दौरान मोदी और शी की मुलाकात पर व्यापक चर्चा हुई थी. किन्तु जब भारतीय राष्ट्रपति हामिद अंसारी चीन दौरे पर थे उसी वक्त चीन ने भारत के कुछ क्षेत्रों को विवादित बताते हुए अपना बताया था जिसके बाद दोनों के रिश्तों में कुछ खटास आ गयी थी.
अब दोनों की मुलाकात पर किस तरह की प्रतिक्रिया होगी यह बैठक के बाद पता चल पाएगा.
8. ब्रिक्स और भारत-रुस के रिश्ते
यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि आजादी व इसके पूर्व से भारत-रुस के संबंध मधुर रहें हैं. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी भारत की यात्रा पर आए रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन से मुलाकात के समय मोदी ने रूस को भारत का ऐसा भरोसेमंद मित्र बताया जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है और मुश्किल दिनों में भारत के साथ खड़ा रहा है.मोदी ने रूस को रक्षा मामलों में भारत का प्रमुख भागीदार बताया और कहा कि देश में रूस के लिए बहुत ज्यादा सद्भाव है.
रूस के साथ होने वाली शीर्ष बैठक के दौरान मोदी की राष्ट्रपति पुतिन के साथ पहली मुलाकात होगी. और इसमें देखने वाली बात होगी की मोदी सरकार रुस से भारत के रिश्ते को कितने आगे ले जाते हैं.
आने वाला समय यह दिखाएगा कि क्या नरेन्द्र मोदी राजनयिक क्षेत्र में भी उतने ही प्रतिभाशाली हैं, जितनी प्रतिभा उन्होंने राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में दिखाई है. ब्राज़ील में होने जा रहा ब्रिक्स के शिखर-सम्मेलन से देश को यह भी पता लग जाएगा.