झाड़ग्राम रहा है माओवादियों का पुराना गढ़, भाजपा को यहां बदलाव की उम्मीद
लालगढ़ : झाड़ग्राम कभी माओवादियों का गढ़ था. टीएमसी ने ‘परिवर्तन’ का वादा कर वामपंथी दलों को उखाड़ फेंका था. इस बार उसकी मजबूत पकड़ को भाजपा चुनौती दे रही है. सीपीएम और कांग्रेस ने भी यहां प्रत्याशी दिये हैं. यह सीट 1962 में सृजित हुई. अब तक 14 बार यहां आम चुनाव हुए. एक […]
लालगढ़ : झाड़ग्राम कभी माओवादियों का गढ़ था. टीएमसी ने ‘परिवर्तन’ का वादा कर वामपंथी दलों को उखाड़ फेंका था. इस बार उसकी मजबूत पकड़ को भाजपा चुनौती दे रही है. सीपीएम और कांग्रेस ने भी यहां प्रत्याशी दिये हैं. यह सीट 1962 में सृजित हुई. अब तक 14 बार यहां आम चुनाव हुए. एक बार बंगाल कांग्रेस, दो बार कांग्रेस और एक बार टीएमसी यहां जीती. शेष 10 बार यहां सीपीएम जीतती रही. 2014 में पहली बार टीएमसी की उमा सोरेन ने माकपा के पुलिन बिहारी बास्के को हरा कर वामपंथ को यहां उखाड़ फेंका था.
माकपा और टीएमसी की जमीनी पकड़ की बड़ी परीक्षा
बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली माकपा सरकार के खिलाफ 2008 में एकजुट हुए हजारों लोगों में शामिल स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें फिर से बदलाव आता दिख रहा है. वैसे तो पूरे इलाके में टीएमसी के झंडे लगे हुए हैं. लोगों के मकानों, दुकानों और स्कूलों के साथ-साथ सुरक्षा चौकियां भी पार्टी के नीले रंग में रंगी हुई हैं, लेकिल इस लालगढ़ में चाय की दुकानों, बाजारों और तमाम अन्य जगहों पर भाजपा द्वारा टीएमसी को मिल रही चुनौती पर चर्चा गर्म है. भाजपा की इस सेंध से टीएमसी प्रमुख नावाकिफ नहीं हैं.
हितों की रक्षा के लिए वोटरों के पास विकल्प
बीड़ी बनाने वाली सुषमा महतो कहती हैं, केंद्र सरकार की ओर से घोषित योजनाएं हम तक नहीं पहुंचती हैं और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ सिर्फ टीएमसी के चापलूसों को मिलता है. हमारे पास विकल्प मौजूद है. लिहाजा बदलाव की मांग में दल है. एक अन्य ग्रामीण भी सुषमा की बातों का समर्थन करता है. कहता है, जब टीएमसी झारग्राम सीट से जीती थी, तब हमारे हितों की रक्षा के लिए कोई विकल्प नहीं था. अब हमारे पास भाजपा एक बड़ा विकल्प है. हम उन्हें यह नहीं जताना चाहते कि हमारे वोटों पर उनका हक है. उन्हें अपने वादे पूरे करने होंगे.
2019 : प्रमुख दल व उम्मीदवार
टीएमसीबिरभा सोरेन
माकपादेबलिना हेम्ब्राम
भाजपाकुनार हेंब्रम
2014 चुनाव परिणाम
उमा सरीन टीएमसी 674,504 45%
पुलिन बिहारी बस्क सीपीएम 326,621 22%
बिकास मुदी भाजपा 122,459 08%
1962 में बनी सीट : कौन कितनी बार जीता
1977 से 2014 तक 10 बार कम्युनिस्ट पार्टी
1962 व 1971 में दो बार कांग्रेस, 1967 में बंगाल कांग्रेस
2014 में एक बार टीएमसी