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जब किसान-मजदूर पार्टी बन गयी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी

कांग्रेस के नेता जेपी कृपलानी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व को बताया था कि अगर डेमोक्रेटिक फ्रंट को एक समूह के रूप में कांग्रेस के भीतर काम नहीं करने दिया गया, तो उसके कई सदस्य संगठन छोड़ कर एक विपक्षी दल बना लेंगे. उनकी बात नहीं मानी गयी. कांग्रेस के इस फ्रंट को खत्म कर […]

कांग्रेस के नेता जेपी कृपलानी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व को बताया था कि अगर डेमोक्रेटिक फ्रंट को एक समूह के रूप में कांग्रेस के भीतर काम नहीं करने दिया गया, तो उसके कई सदस्य संगठन छोड़ कर एक विपक्षी दल बना लेंगे. उनकी बात नहीं मानी गयी. कांग्रेस के इस फ्रंट को खत्म कर दिया गया. लिहाजा, कृपलानी ने 1950 में कांग्रेस छोड़ दी और समान-विचार वाले मित्रों के साथ मिल कर किसान मजदूर प्रजा पार्टी (केएमपीपी) का निर्माण किया. 1952 के पहले आम चुनाव में केएमपीपी और सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने अलग-अलग कांग्रेस के विरुद्ध भाग लिया.
जयप्रकाश नारायण ने केएमपीपी के पटना सम्मेलन में भाग लिया. उम्मीद थी कि केएमपीपी और सोशलिस्ट पार्टी संयुक्त रूप से सत्तारूढ़ कांग्रेस का सामना करेंगी, पर सोशलिस्ट पार्टी अकेले चुनाव में उतरी. चुनावों में केएमपीपी और सोशलिस्ट पार्टी के सफाये ने दोनों दलों को विलय के लिए विवश कर दिया. नये दल का नाम प्रजा सोशलिस्ट पार्टी रखा गया.

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