मानसून की मार, सूखे की कगार पर मध्यप्रदेश
भोपाल: आमतौर पर 10 जून के आसपास आने वाले मानसून का इस साल जुलाई के मध्य तक मध्यप्रदेश में पूरी तरह दस्तक नहीं देने के कारण राज्य में सूखा पडने के आसार साफ नजर आ रहे हैं. मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डा. अनुपम कश्यपी ने आज बताया कि पूर्वी मध्यप्रदेश में सूखे की स्थिति […]
भोपाल: आमतौर पर 10 जून के आसपास आने वाले मानसून का इस साल जुलाई के मध्य तक मध्यप्रदेश में पूरी तरह दस्तक नहीं देने के कारण राज्य में सूखा पडने के आसार साफ नजर आ रहे हैं.
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डा. अनुपम कश्यपी ने आज बताया कि पूर्वी मध्यप्रदेश में सूखे की स्थिति संभवत: देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले अधिक विकट होने वाली है. अब तक राजधानी भोपाल में ही सामान्य से 190 मिलीमीटर कम बारिश दर्ज हुई है. जून से शनिवार तक महज 84 मिमी बारिश रिकार्ड हुई है, जो पिछले दस सालों में सबसे कम बारिश है.
खास बात यह है कि किसानों ने इस बार खरीफ फसल के लिए 7200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बीज खरीदा था, जो अभीतक मानसून के विलंब की वजह से रोपा नहीं जा सका है. किसान चाहते हैं कि यह बीज सोसायटी वापस ले और कम अवधि की फसल का बीज उपलब्ध कराएं.
मानसून को लेकर प्रदेश के मौसम विज्ञान केंद्र के सभी दावे खोखले साबित हुए हैं और जून सूखा जाने के साथ ही जुलाई मध्य में भी छुटपुट बारिश के साथ सूखा जाने के आसार नजर आ रहे हैं. पिछले साल जून तक भोपाल में ही 460 मिमी बारिश हुई थी.
इधर देशभर के किसान मौसम की मार से बेहाल हैं. देश के किसी भी क्षेत्र में आशा के अनुरुप वर्षा नहीं हुई है. खरीफ फसलों की रोपाई की बात करें तो पूरे देश में पिछले साल की तुलना में लगभग 45 प्रतिशत कम रोपाई हुई है.