PM मोदी ने पूरे चुनाव प्रचार में अपनी सरकार को ”निर्णायक सरकार” के तौर पर पेश किया

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए 50 दिन चले अपने चुनाव प्रचार अभियान को मध्यप्रदेश के खरगोन में विराम दिया. मोदी ने अपने प्रचार अभियान की शुरूअरत मेरठ से की थी. मोदी ने अपने पूरे प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस पर राष्ट्रवाद, सशस्त्र बलों, सीमापार हमले जैसे भावनात्मक मुद्दों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2019 10:35 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए 50 दिन चले अपने चुनाव प्रचार अभियान को मध्यप्रदेश के खरगोन में विराम दिया. मोदी ने अपने प्रचार अभियान की शुरूअरत मेरठ से की थी.

मोदी ने अपने पूरे प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस पर राष्ट्रवाद, सशस्त्र बलों, सीमापार हमले जैसे भावनात्मक मुद्दों को लेकर हमले किये और अपनी सरकार को ‘निर्णायक सरकार’ तौर पर पेश किया.

चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के बाद 28 मार्च को मेरठ में आयोजित अपनी पहली रैली में मोदी ने कहा था, इसी चौकीदार की सरकार थी जिसमें जमीन, आसमान और अंतरिक्ष में सर्जिकल स्ट्राइक करने की ताकत है.

भारत को विकसित होना चाहिए, भारत को दुश्मनों से सुरक्षित होना चाहिए. पूरे प्रचार के दौरान अपना यही ‘मिजाज’ बनाये रखने वाले मोदी ने खरगोन में भी आतंकवाद और नक्सलवाद को खत्म करने के लिए ठोस फैसले लेने की अपनी सरकार की नीतियों का जिक्र किया.

खरगोन में शुक्रवार को मोदी ने कहा, आतंकवाद और नक्सलवाद को खत्म करने की हमारी नीतियों का जनता दिल से समर्थन कर रही है. देश की भावना है कि आतंकवादियों को उनके घर में घुसकर मारा जाए.

परोक्ष रूप से बालाकोट हवाई हमले का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से पूछा कि ‘आतंकवादियों को उनके घर में घुस कर मारना सही है या नहीं?’ वहां मौजूद लोगों ने इसका सकारात्मक जवाब दिया.

प्रधानमंत्री ने फिर से पूछा, ‘आप खुश हैं या नहीं? जब मोदी उन्हें (आतंकवादियों) घर में घुस कर मारता है तो आपको गर्व होता है या नहीं. आपका सीना गर्व से चौड़ा होता है या नहीं.

आपका सिर ऊंचा होता है या नहीं. इन सवालों के हमारे वीर सपूतों ने जवाब दिया है. नये भारत की यही नीति होनी चाहिए. मेरठ की तरह ही प्रधानमंत्री ने यहां भी सुरक्षा और अन्य बातों को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर निशाना साधा.

विपक्ष द्वारा सर्जिकल स्ट्राइल और अन्य हमलों का सबूत मांगने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने मेरठ में खूब चुटकी ली थी. उन्होंने कहा था, हमें कौन चाहिए ‘सबूत या सपूत’… जो सबूत मांग रहे हैं वे लोग सपूतों को चुनौती दे रहे हैं. खरगोन में भी मोदी के मुद्दे नहीं बदले.

उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की टिप्पणी को लेकर उनपर कटाक्ष किया. कुमारस्वामी ने कहा था कि जिन्हें दो जून की रोटी नहीं मिलती है, वहीं लोग सेना में भर्ती होकर सैनिक बन जाते हैं.

उन्होंने कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने वाली कांग्रेस के पक्ष में कभी वोट नहीं करने की अपील जनता से की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान आदिवासी समुदाय का अपमान है.

वे लोग रोटी के लिए नहीं बल्कि गोलियों का सामना करने के लिए सेना में भर्ती होते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कांग्रेस सैनिकों को मिली विशेषाधिकार खत्म करने और राजद्रोह का कानून खत्म करने का वादा लेकर जनता के पास गयी है.

देश में सबकी सहमति है कि जम्मू-कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री की बात करने वाले लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. मेरठ की तरह खरगोन में भी उन्होंने लोगों से ‘कमल’ का बटन दबाकर मोदी को वोट देने की अपील की.

हालांकि प्रधानमंत्री ने खरगोन की रैली में ‘चौकीदार’ शब्द का प्रयोग नहीं किया, जबकि मेरठ की रैली में इस शब्द पर बहुत जोर दिया था.

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