नयी दिल्ली:पत्रकार वेद प्रताप वैदिक से मुलाकात करके प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज सईद फिर एक बार चर्चे में हैं. वैदिक से मुलाकात के दौरान उसने भारत आकर अपना पक्ष रखने की बात की है. भारत को अपना दुश्मन मानने वाला सईद आखिर भारत आकर क्या साबित करना चाहता है. यह सोचने वाली बात है लेकिन उससे पहले हमें यह जानना पड़ेगा कि सईद की दुनिया में कैसी छवि है. अमेरिका ने मुंबई आतंकी हमले के सरगना हाफिज सईद पर एक करोड़ डॉलर के इनाम की घोषणा कर चुका है. हम आपको बता रहे हैं कि आखिर कौन है ये हाफिज सईद.
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक सईद भारत की सर्वाधिक वांछित अपराधियों की सूची में शामिल है. मुंबई की 26/11 की घटना में 166 लोग मारे गए थे. उस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से उसे सौंपने को कहा था. अमेरिकी सरकार के ‘रिवाडर्स फॉर जस्टिस’ कार्यक्रम की वेबसाइट पर सईद को आतंकी कहकर संबोधित किया जा चुका है. साईट की माने तो हाफिज़ सईद प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा का प्रमुख और चरमपंथी गुट लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक है. उस पर वर्ष 2008 में हुए मुंबई हमलों सहित कई आतंकवादी कार्रवाईयों का आरोप है.
अमेरिका ने दुनिया में ‘आंतकवाद के लिए जिम्मेदार’ लोगों की सूची जारी की है. इस सूची में हाफ़िज़ सईद को दूसरे स्थान पर रखा है. अमेरिका ने चार बड़े चरमपंथियों पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है. लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद उन चार आतंकवादियों में से एक है जिन पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर के इनाम की घोषणा की है.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई आतंकी हमलों के तुरंत बाद दिसंबर 2008 में जमात-उत-दावा को आतंकवादी संगठन घोषित किया था. पंजाब प्रांत सरगोधा में छह मई 1950 को पैदा हुए सईद को मुंबई हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए छह महीने से कम समय तक नजरबंद रखा गया था. लाहौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसे 2009 में रिहा कर दिया गया था.
परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में लश्कर को प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन पाकिस्तान सरकार ने जमात-उत-दावा पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध नहीं लगाया है. मजे की बात यह है कि इन चार चरमपंथियों में सिर्फ सईद ही ऐसा है जो आज़ादी से पाकिस्तान में घूम रहे है और सार्वजानिक तौर पर सभाओं को संबोधित कर रहे है. बाक़ी चरमपंथी मुल्ला उमर, अबू दुआ और यासीन अल-सूरी का किसी को कुछ पता नहीं है कि वह कहां हैं?
हाफिज़ सईद ने अफग़ानिस्तान में जिहाद का प्रचार करने और लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए 1985 में जमात-उद-दावा-वल-इरशाद की स्थापना की और लश्कर-ए-तैयबा उसकी शाखा बनी.1990 के बाद जब सोवियत सैनिक अफगानिस्तान से निकल गए तो हाफिज़ सईद ने अपने मिशन को भारत प्रशासित कश्मीर की तरफ़ मोड़ दिया. भारत प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी कार्रवाईयां करने वाला सबसे बड़ा पाकिस्तानी संगठन लश्कर-ए-तैयबा है, लश्कर और आईएसआई के रिश्तों के सुराग अनेक बार मिल चुके हैं.भारत सरकार 2003, 2005 और 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के लिए लश्कर-ए-तैयबा को ज़िम्मेदारी मानती है. भारतीय संसद पर हमले की कड़ी भी इसी गुट से जुड़ती है.
11 सितंबर 2001 में अमेरिका पर हुए हमलों के बाद लश्कर-ए-तैयबा पर दुनिया की नजरें टिकीं और वर्ष 2002 में पाकिस्तानी सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया. उसके बाद हाफिज़ सईद ने लश्कर-ए-तैयबा का नया नाम जमात-उद-दावा रखा, हालांकि हाफिज़ सईद इस बात से इनकार करता है कि जमात-उद-दावा का लश्कर-ए-तैयबा से कोई संबंध है. वर्ष 2005 में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में आए भयंकर भूपंक में जमात-उद-दावा ने पीड़ितों के लिए काफी काम किया और उसी के कारण वह सेना के और करीब आ गई. हाफिज़ सईद एक बार फिर उस समय खबरों में आया जब नवंबर 2008 में भारतीय शहर मुंबई पर हमले हुए और हमलों के लिए उसे दोषी ठहराया गया.
भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तानी सरकार ने 11 दिसंबर 2008 को हाफिज़ सईद को गिरफ्तार कर लिया, इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने उनकी संस्था जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध लगा दिया था. पाकिस्तान में भी जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध है लेकिन वह कल्याणकारी कामों के साथ-साथ जिहाद के लिए पैसा भी जुटा रही है, उसके प्रमुख हाफिज़ सईद खुलेआम जिहाद के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी करते रहते हैं. अमेरिका की ओर से इनाम की घोषणा के बाद हाफिज़ सईद की स्वतंत्र रुप से गतिविधियां पाकिस्तानी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं.