कितना भरोसेमंद है एग्जिट पोल ?

लोकसभा चुनाव 2019 खत्म हुआ. अब चर्चा है एग्जिट पोल की. एग्जिट पोल पर आप कितना भरोसे करते हैं, आपके भरोसे का आधार क्या है ? क्या आपका आकलन और एग्जिट पोल एक जैसा हो तभी आप भरोसा करते हैं?. यह सवाल इसलिए क्योंकि एग्जिट पोल का इतिहास देखेंगे तो पायेंगे कि राजनीतिक पार्टियों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2019 12:51 PM

लोकसभा चुनाव 2019 खत्म हुआ. अब चर्चा है एग्जिट पोल की. एग्जिट पोल पर आप कितना भरोसे करते हैं, आपके भरोसे का आधार क्या है ? क्या आपका आकलन और एग्जिट पोल एक जैसा हो तभी आप भरोसा करते हैं?. यह सवाल इसलिए क्योंकि एग्जिट पोल का इतिहास देखेंगे तो पायेंगे कि राजनीतिक पार्टियों के विश्वास का आधार यही है. इस बार यानी 2019 के आम चुनाव के बाद हुए एग्जिट पोल में ज्यादातर पोल इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि एनडीए को बहुमत मिलेगा.

एनडीए के नेता खुश हैं, तो यूपीए समेत सपा- बसपा सरीखे पार्टियों के नेता इसे गलत बता रहे हैं.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ऑस्ट्रेलिया के एग्जिट पोल का जिक्र करते हुए कहा, ऑस्ट्रेलिया में जो हुआ वही यहां भी होगा. आइये जान लेते हैं ऑस्ट्रेलिया में हुआ क्या ? आस्ट्रेलिया में एग्जिट पोल के बाद मध्य-वाम लेबर पार्टी और खुद इसके नेता बिल शॉर्टन फाइनल नतीजे आने से पहले ही जश्न मनाने लगे थे. उन्हें पूरा यकीन था कि उनकी सरकार बनने जा रही है. लेकिन, रविवार को जैसे-जैसे चुनाव के नतीजे आने लगे, मध्य-वाम लेबर पार्टी की मायूसी बढ़ती गई क्योंकि नतीजे एग्जिट पोल के उलट थे.

एग्जिट पोल है, क्या कब शुरु हुआ
एग्जिट पोल में वोटर का वह जवाब अंकित होता है, जो वह वोट देकर निकलने के बाद देता है. जब वोटर वोट देकर निकलता है, तो एजेंसियां उससे यह पूछ लेती हैं कि उन्होंने किसे वोट किया. वोटर अपना जवाब गुप्त रूप से ही देता है. इसी आधार पर एग्जिट पोल तय किया जाता है. अगर वोटर सही जानकारी ना दे तो एग्जिट पोल के फेल होने की आशंका भी रहती है.पिछले 5 आम चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि आखिर चुनाव नतीजों और एग्जिट पोल के बीच कितना अंतर रहा है. ऐसा कई बार हुआ है जब एग्जिट पोल के नतीजे सही नहीं आए. भारत में 1998 से 2014 के बीच कम से कम 4 एग्जिट पोल के नतीजे सटीक नहीं थे.
एग्जिट पोल 1967 में पहली बार सामने आया. एक डच समाजशास्त्री और पूर्व राजनीतिज्ञ मार्सेल वान डेन ने देश में चुनाव के दौरान एग्जिट पोल किया. हालांकि ये भी कहा जाता है कि इसी साल अमेरिका में ऐसा पहली बार एक राज्य के चुनावों के दौरान किया गया था. वैसे एग्जिट पोल्स जैसे अनुमान की शुरुआत 1940 में होना भी बताया जाता है.
एग्जिट पोल कब – कब हुए गलत
1998 के एग्जिट पोल में भाजपा के अतिरिक्तअन्य पार्टियों को नकारा गया था, लेकिन परिणाम आने के बाद एग्जिट पोल के नतीजों के आधार पर 50 सीटों का अंतर था.
1999 के आम चुनाव में NDA की अप्रत्याशित जीत गलत साबित हुई. एग्जिट पोल में 300 प्लस सीटें दी जा रही थी. एनडीए 300 पर सिमट गयी थी.
2004 के आम चुनाव में अधिकतर एग्जिट पोल भाजपा और एनडीए को जीता हुआ बता रहे थे, लेकिन चुनाव नतीजे बिलकुल ही उलट आये.
2009 के आम चुनाव आम में एग्जिट पोल और जीत का फासला 50 सीटों से भी अधिक चला गया.
2014 के आम चुनाव में सभी एग्जिट पोल ने NDA की जीत ही बताई थी, लेकिन फिर भी असल सीटों का अनुमान सिर्फ एक का ही लगभग सही था. NDA 336 सीटों के साथ जीती.

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