Loading election data...

गुजारा भत्ता जीवन यापन के लिए है, यह तोहफा नहीं होता : अदालत

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता जीवन यापन के लिए दिया जाता है और इसे तोहफे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और यह उसकी अर्जी की तारीख से ही देना होगा. अदालत ने एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2019 7:03 PM

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता जीवन यापन के लिए दिया जाता है और इसे तोहफे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और यह उसकी अर्जी की तारीख से ही देना होगा. अदालत ने एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया. इस व्यक्ति ने निचली अदालत के मई 2017 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे अलग रह रही पत्नी को अर्जी दायर करने की तारीख मार्च 2014 से अंतरिम गुजारा भत्ता के तौर पर 40,000 रूपये देने के निर्देश दिए गए थे .

याचिका में कहा गया कि रकम का भुगतान करने का निर्देश अर्जी दाखिल करने की तारीख से नहीं बल्कि निचली अदालत के आदेश की तारीख से होने चाहिए. उच्च न्यायालय ने अपने हालिया आदेश में कहा कि व्यक्ति ने निचली अदालत द्वारा आकलन किए गए गुजारा भत्ता की राशि को चुनौती नहीं दी है. न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा, ‘‘पत्नी को गुजारा भत्ता तोहफा नहीं है. यह इसलिए दिया जाता है कि वह जीवन यापन कर सके.
अर्जी दाखिल करने और फैसले की तारीख के बीच का समय और पत्नी के पक्ष में आया फैसला, इस तथ्य का यह मतलब नहीं है कि उसके पास जीवन यापन के लिए पर्याप्त रकम है.” उच्च न्यायालय ने कहा कि मुकदमे के बाद जब निचली अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची की पत्नी गुजारा भत्ता की हकदार है तो इसके लिये राशि का आकलन अर्जी दाखिल करने की तारीख से होगा. निचली अदालत ने घरेलू हिंसा से संरक्षण कानून के तहत महिला की याचिका पर 2017 में उसे हर महीने 40,000 रूपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था.

Next Article

Exit mobile version