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किर्गिजस्तान के लिए रवाना हुईं सुषमा स्वराज, एससीओ की बैठक में करेंगी शिरकत

नयी दिल्लीः विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मंगलवार सुबह किर्गिजस्तान के लिए रवाना हो गयी हैं. वह यहां बिश्केक में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. माना जा रहा है कि इस बैठक में आतंकवाद सहित विभिन्न सामयिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यह दूसरा मौका है […]

नयी दिल्लीः विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मंगलवार सुबह किर्गिजस्तान के लिए रवाना हो गयी हैं. वह यहां बिश्केक में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. माना जा रहा है कि इस बैठक में आतंकवाद सहित विभिन्न सामयिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यह दूसरा मौका है जब भारत विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) बैठक में एससीओ के पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल हो रहा है. सुषमा स्वराज एससीओ के विदेश मंत्रियों के साथ किर्गिज राष्ट्रपति सूरनबाय जीनबेकोव से संयुक्त मुलाकात भी करेंगी. पिछले माह रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिश्केक में एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था.

2017 में एससीओ का पूर्ण सदस्‍य बना भारत
गौरतलब है कि साल 2017 में ही भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का पूर्ण सदस्य बना है. एससीओ के पूर्ण सदस्यों में भारत, चीन, रूस, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. वहीं, अफगानिस्तान, मंगोलिया, इरान और बेलारूस पर्यवेक्षक हैं।
कब और क्यों हुई एससीओ की स्थापना
शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में हुई. इसके उद्देश्यों में सीमा विवादों का हल, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाना और सेंट्रल एशिया में अमेरिका के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करना शामिल है. इसके सदस्यों में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं.

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