अशोक लवासा की असहमति को EC ने फिर किया दरकिनार, सार्वजनिक नहीं होगा असहमति का मत
नयी दिल्लीः लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले चुनाव आयोग के अंदर जारी मतभेद ने खलबली मचा दी है. पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में मिली क्लीन चिट के बाद चुनाव आयोग में शुरू हुई जंग में चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की मांग को एक बार […]
नयी दिल्लीः लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले चुनाव आयोग के अंदर जारी मतभेद ने खलबली मचा दी है. पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में मिली क्लीन चिट के बाद चुनाव आयोग में शुरू हुई जंग में चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की मांग को एक बार फिर ठुकरा दिया गया है. हाल ही में चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कई सवाल किये थे जिसपर मंगलवार को बैठक हुई. इसमें चुनाव आयोग ने आयुक्त अशोक लवासा की आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में पैनल के किसी सदस्य की असहमति को सार्वजनिक किए जाने की मांग खारिज कर दी है.
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे मामलों में असहमति या अल्पमत के विचारों को रेकॉर्ड में रखा जाएगा, लेकिन उन्हें फैसलों में शामिल नहीं किया जाएगा. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा की राय थी कि चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में फैसले न्यायिक नहीं होते. ऐसे में इन फैसलों में अल्पमत की राय या फिर असहमति को आदेश में शामिल नहीं किया जा सकता. हालांकि दोनों इश बात पर सहमत थे कि विचार सुने जाना चाहिए.
चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा, ‘आरटीआई ऐक्ट के तहत लोग चुनाव आयोग की फाइल नोटिंग्स के बारे में जान सकते हैं. चुनाव आयोग हमेशा से पारदर्शी रहा है और आगे भी रहेगा. बता दें किपिछले दिनों अशोक लवासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन मामले में मिली क्लिनचिट और विपक्षी नेताओं को भेजे नोटिस पर सवाल खड़े किए थे. उनका कहना था कि आदर्श आचार संहिता से जुड़े सभी कागजातों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इसी मुद्दे पर मंगलवार को आयोग ने बैठक की गई थी.