का वर्षा जब कृषि सुखाने!

।। प्रकाश कुमार रे ।। अब तक सामान्य से बहुत कम बारिश का सीधा असर खरीफ फसलों की बुआई पर पड़ा है. पिछले वर्ष मध्य जुलाई तक 620.20 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हुई थी, जबकि इस वर्ष 10 जुलाई तक महज 256.61 लाख हेक्टेयर में हो सका है. नयी दिल्ली : मौसम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2014 6:30 AM

।। प्रकाश कुमार रे ।।

अब तक सामान्य से बहुत कम बारिश का सीधा असर खरीफ फसलों की बुआई पर पड़ा है. पिछले वर्ष मध्य जुलाई तक 620.20 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हुई थी, जबकि इस वर्ष 10 जुलाई तक महज 256.61 लाख हेक्टेयर में हो सका है.

नयी दिल्ली : मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अब तक मॉनसून की वर्षा में दीर्घकालिक औसत की तुलना में 43% कमी रही है. उधर, मौसम का आकलन करनेवाली प्राइवेट संस्था स्काइमेट ने पिछले दिनों आशंका जाहिर की थी कि देश में सूखे की आशंका 60% तक बढ़ गयी है. संस्था ने अप्रैल में इस आशंका को 25} तक रखा था. ऐसे में देश के सामने 2009 जैसे सूखे की स्थिति कीआशंका है. संतोष की बात यह है कि मौसम विभाग को उत्तर, मध्य व दक्षिण भारत में 14 जुलाई के बाद से मॉनसून की कृपा बरसने की उम्मीद है. जिन क्षेत्रों में मॉनसून कमजोर रहा है, खाद्यान्न उत्पादन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं. मौसम विभाग का अनुमान सही भी हो, तो भी कृषि उत्पादन में कमी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

इस स्थिति का सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर होगा, जो पहले से ही खस्ताहाल है. अब तक सामान्य से बहुत कम बारिश का सीधा असर खरीफ फसलों की बुआई पर पड़ा है. पिछले वर्ष मध्य जुलाई तक 620.20 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हुई थी, जबकि इस वर्ष 10 जुलाई तक महज 256.61 लाख हेक्टेयर में ही हो सका है. देश के महत्वपूर्ण जलाशयों में जल-भंडारण 10 वर्ष के औसत से बहुत नीचे है. ब्रह्मपुत्र को छोड़ देश की किसी भी नदी में समुचित पानी नहीं है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की चिंता को छुपाने की कोशिश में भले ही कह दिया है कि घबराने का कोई कारण नहीं है, खरीफ फसलों की बुआई पर खास असर नहीं है और खराब स्थिति से निपटने के लिए अनाज का समुचित भंडारण है.

पर, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी कृषि राज्य मंत्री संजीव बलियान ने राज्यसभा को जानकारी दी है कि राज्य सरकारों के सहयोग से 500 जिलों में कम पानी से खेती की कोशिशें हो रही हैं. उन्हें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और अन्य योजनाओं से 10 फीसदी राशि अलग रखने के लिए कहा गया है, ताकि सूखे की संभावित स्थिति का सामना किया जा सके. विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में केंद्र और राज्य सरकारों को वस्तुस्थिति का सही आकलन कर जरूरी उपाय शुरू कर देने चाहिए. देरी और लापरवाही से संकट और गहरा ही होगा.

खरीफ फसलों की बुआई

देश में मॉनसून की बारिश में सामान्य से 43% की कमी रही

(एक जून से नौ जुलाई 2014 तक)

‘‘राहत की बारिश शुरू होने के पूरे आसार : इस सप्ताह दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून आगे बढ़ते हुए मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा व विदर्भ तथा पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ और हिस्सों में पहुंच गया है, जिसके कारण इन क्षेत्रों में ठीक बारिश की संभावना है. दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में मॉनसून पांच दिन और सक्रिय रहेगा. मॉनसून की गतिविधि का रुख अब धीरे-धीरे मध्य भारत व उत्तर-पश्चिमी मैदानों की ओर है. हिमालयी क्षेत्रों और पूवरेत्तर में कई दिनों तक बारिश की संभावना है, लेकिन देश के पश्चिमी हिस्से में 15 दिनों तक मॉनसून कमजोर रहेगा. एम दुरैस्वामी, मौसम वैज्ञानिक, भारत मौसम विज्ञान विभाग, नयी दिल्ली

जलाशयों में भंडारण क्षमता

10 जुलाई, 2014 तक

36.493 बीसीएम (बिलियन क्यूबिक मीटर) पानी 85 महत्वपूर्ण जलाशयों में, जो उनकी कुल भंडारण क्षमता का 24 फीसदी है. यह पिछले वर्ष की स्थिति और गत दस वर्षों के औसत भंडारण से कम है.

155.046 बीसीएम कुल भंडारण क्षमता है इन जलाशयों की, जो देश में सृजित 253.388 बीसीएम अनुमानित भंडारण क्षमता का लगभग 61 फीसदी है.

4.55 बीसीएम भंडारण पूर्वी क्षेत्र में स्थित 15 जलाशयों में जो झारखंड, ओडिशा, प बंगाल व त्रिपुरा में स्थित हैं. 18.83 बीसीएम कुल भंडारण क्षमता है इन 15 जलाशयों की. पिछले वर्ष और दस वर्षों के औसत भंडारण से इस वर्ष इनमें अधिक पानी है.

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