नयी दिल्लीः लोकसभा चुनावों में मिली हार के कारणों की समीक्षा के लिए शनिवार को बुलायी गई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक काफी हलचल भरा रहा. राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की अटकलें दिनभर लगती रहीं. बताया जाता है कि राहुल गांधी ने पार्टी की हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए पद से हटने का प्रस्ताव दिया था. मगर, कांग्रेस पार्टी ने उनके इस्तीफे की पेशकश को नामंजूर कर दिया. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में राहुल गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर बेहद नाराजगी जतायी. कहा कि इन नेताओं ने अपने बेटों के हितों को पार्टी हित से ऊपर रखा. उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर अपने बेटों को टिकट दिलवाने के लिए जोर लगाने का आरोप लगाया.
सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने यह बात ज्योतिराजदित्य सिंधिया की उस टिप्पणी पर कही, जिसमें सिंधिया ने कहा था कि पार्टी को स्थानीय नेताओं को तैयार करना चाहिए. राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने उन राज्यों में भी बहुत खराब प्रदर्शन किया है, जहां उनकी सरकार थी. बतौर जानकारी, राहुल ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने बेटों को टिकट देने पर जोर दिया. इस संदर्भ में राहुल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम का भी नाम लिया. हालांकि राहुल गांधी निजी रूप से इसके पक्ष में नहीं थे.
लोकसभा चुनाव 2019 में करारी शिकस्त के बाद काफी गुस्से में नजर आ रहे राहुल ने पार्टी नेताओं पर लापरवाही का भी आरोप लगाया. कहा कि चुनाव प्रचार में उठाए गए मुद्दों को आगे बढ़ाकर भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मजबूत राय नहीं तैयार की गयी. सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने इस दौरान खास तौर पर राफेल डील और ‘चौकीदार चोर है’ जैसे मुद्दों का नाम भी लिया. कांग्रेस अध्यक्ष इसके बाद खुद को हार का जिम्मेदार माना और कहा कि वह पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे रहे हैं.
इससे कमिटी की बैठक में भावनात्मक दृश्य शुरू हो गया. वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि राहुल ने यह चुनाव आगे बढ़कर लड़ा है और उन्हें हिम्मत हारने की कोई जरूरत नहीं है. एके एंटॉनी, अहमद पटेल और पी. चिदंबरम सहित कई अन्य ने राहुल गांधी को शांत कराया. प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि अगर राहुल इस्तीफा देते हैं तो वह भाजपा की चाल में फंस जाएंगे. इस बीच एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राहुल की जगह लेने वाला कोई नहीं है और अगर वह पद छोड़ते हैं तो कार्यकर्ता आत्महत्या कर सकते हैं.