सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार ने कहा, “मोदी लहर से मिली रिकॉर्ड जीत”

इंदौर : सांसदी की दौड़ में पहली बार शामिल होने के बावजूद लोकसभा चुनावों के दौरान देश भर में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार शंकर लालवानीने अपनी रिकॉर्ड जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड चुनावी लहर को दिया है. लालवानी ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर मध्यप्रदेश के इंदौर लोकसभा क्षेत्र में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2019 3:09 PM

इंदौर : सांसदी की दौड़ में पहली बार शामिल होने के बावजूद लोकसभा चुनावों के दौरान देश भर में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार शंकर लालवानीने अपनी रिकॉर्ड जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड चुनावी लहर को दिया है. लालवानी ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर मध्यप्रदेश के इंदौर लोकसभा क्षेत्र में 10 लाख 68 हजार 569 मत हासिल कर विजय पताका फहरायी और इस सीट पर अपनी पार्टी का 30 साल पुराना कब्जा बरकरार रखा .

नवनिर्वाचित सांसद ने स्थानीय भाजपा कार्यालय में मंगलवार को पार्टी कार्यकर्ताओं से भेंट के दौरान संवाददाताओं से कहा, "इंदौर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं में मोदी के प्रति जबर्दस्त उत्साह था जो रिकॉर्ड वोटों में परिवर्तित हुआ. यह हमारा सौभाग्य है कि मोदी के नाम पर सबसे ज्यादा वोट इंदौर में दिये गये. इससे हमारी जवाबदारी बढ़ जाती है कि हम इस क्षेत्र में विकास के ज्यादा से ज्यादा काम करें." लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को पांच लाख 47 हजार 754 वोटों के अंतर से हराया.

इसके साथ ही उन्होंने, भाजपा का मजबूत गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर जीत के मतों के अंतर को लेकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का पुराना कीर्तिमान भी ध्वस्त कर दिया. "ताई" (मराठी में बड़ी बहन का संबोधन) के नाम से मशहूर महाजन ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में इंदौर क्षेत्र में अपने नजदीकी प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल को चार लाख 66 हजार 901 मतों के अंतर से हराया था. महाजन का रिकॉर्ड तोड़े जाने को लेकर प्रतिक्रिया पूछने पर लालवानी ने कहा, "ताई का आशीर्वाद चुनाव अभियान की शुरूआत से ही मेरे साथ रहा है. उनसे किसी तरह की प्रतिस्पर्धा कर उनका चुनावी रिकॉर्ड तोड़ने की बात मेरे मन में कभी नहीं रही."

महाजन (76) ने इंदौर से वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीता था. लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के भाजपा के नीतिगत निर्णय को लेकर मीडिया में खबरें आने के बाद उन्होंने पांच अप्रैल को खुद ही घोषणा की थी कि वह इस बार बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी. लम्बी उहापोह के बाद भाजपा ने लालवानी को महाजन का चुनावी उत्तराधिकारी बनाते हुए इंदौर से टिकट दिया था.

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