नयी शिक्षा नीति में हिंदी को लेकर द्रमुक सहित विभिन्न राजनीतिक दलों का बवाल, सरकार ने दी सफाई
नयी दिल्ली : द्रमुक सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित तीन भाषा फार्मूले का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने इसे ठंडे बस्ते में डालने की मांग करते हुए दावा किया कि यह हिन्दी को ‘थोपने’ के समान है. इधर सरकार ने विरोध के बाद सफाई दी है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश […]
नयी दिल्ली : द्रमुक सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित तीन भाषा फार्मूले का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने इसे ठंडे बस्ते में डालने की मांग करते हुए दावा किया कि यह हिन्दी को ‘थोपने’ के समान है. इधर सरकार ने विरोध के बाद सफाई दी है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘हमारी मंशा किसी भी भाषा को थोपने की नहीं है. हम सभी भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं. यह एक कमिटी के द्वारा तैयार किया ड्राफ्ट है, जिसे सरकार जनता के फीडबैक के बाद निर्णय करेगी.
वहीं मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने स्कूलों में 3-भाषा प्रणाली के प्रस्ताव पर कहा, समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है, यह नीति नहीं है. इसको लेकर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगी जाएगी, यह गलतफहमी है कि यह एक नीति बन गई है. किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने तमिल में किये गए विभिन्न ट्वीट में कहा, स्कूलों में तीन भाषा फार्मूले का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि वे हिंदी को एक अनिवार्य विषय बनाएंगे…. उन्होंने ट्वीट किया, भाजपा सरकार का असली चेहरा उभरना शुरू हो गया है.
इस बीच ट्विटर पर #स्टॉपहिंदीइंपोजिशन, #टीएनएअगेंस्टहिंदीइंपोजिशन ट्रेंड करने लगा. द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने कहा कि तीन भाषा फार्मूला प्राथमिक कक्षा से कक्षा 12 तक हिंदी पर जोर देता है. यह बड़ी हैरान करने वाली बात है और यह सिफारिश देश को ‘बांट’ देगी. मसौदा नीति जानेमाने वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली एक समिति ने तैयार की है जिसे शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया.
द्रमुक नेता स्टालिन ने तमिलनाडु में 1937 में हिंदी विरोधी आंदोलनों को याद करते हुए कहा कि 1968 से राज्य दो भाषा फार्मूले का ही पालन कर रहा है जिसके तहत केवल तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है. उन्होंने केंद्र से सिफारिशों को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि यह तीन भाषा फार्मूले की आड़ में हिंदी को ‘थोपना’ है.
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के सांसद संसद में शुरू से ही इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे. उन्होंने अन्नाद्रमुक पर निशाना साधते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी इसका कड़ा विरोध करें और ऐसा नहीं करने पर अपनी पार्टी के नाम से ‘अन्ना’ और ‘द्रविड़’ शब्द हटा दें.
भाकपा के साथ ही लोकसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी पीएमके ने भी आरोप लगाया कि तीन भाषा फार्मूले की सिफारिश ‘हिंदी थोपना’ है और वह चाहती हैं कि इसे खारिज किया जाए. एमएनएम प्रमुख कमल हासन ने कहा कि ‘चाहे भाषा हो या कोई परियोजना’ हम नहीं चाहते कि वह हम पर थोपी जाए. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ विधिक उपाय तलाशेगी.
राज्य के शिक्षा मंत्री के ए सेनगोतैयां ने पुतिया तलैमुराई तमिल समाचार चैनल से कहा, ‘तमिलनाडु में अपनाये जा रहे दो भाषा फार्मूले में कोई परिवर्तन नहीं होगा. केवल तमिल और अंग्रेजी ही राज्य में पढ़ायी जाती रहेगी.