लापता विमान AN 32 का अब तक सुराग नहीं, सर्च ऑपरेशन चौथे दिन भी जारी, खराब मौसम की वजह से हो रही है परेशानी
इटानगर/ नयी दिल्ली : वायु सेना के लापता विमान AN-32 के लिए सर्च ऑपरेशन आज चौथे दिन भी जारी है. इसके लिए वायुसेना व्यापक और लगातर सर्च ऑपरेशन चलाने के काम में लगी हुई है. विमान का पता लगाने के लिए सैटलाइट और अन्य संसाधनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. सुखोई -30, सी-130 […]
इटानगर/ नयी दिल्ली : वायु सेना के लापता विमान AN-32 के लिए सर्च ऑपरेशन आज चौथे दिन भी जारी है. इसके लिए वायुसेना व्यापक और लगातर सर्च ऑपरेशन चलाने के काम में लगी हुई है. विमान का पता लगाने के लिए सैटलाइट और अन्य संसाधनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. सुखोई -30, सी-130 जे और अन्य संसाधनों को आज फिर से सर्च ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
अनुकूल मौसम नहीं रहने के बावजूद अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में सुदूरवर्ती मेंचुका पर्वत पर अभियान चलाया जा रहा है. आपको बता दें कि रूस में बने एएन-32 विमान का असम में जोरहाट से रवाना के बाद सोमवार दोपहर संपर्क टूट गया. चीन से लगी सीमा के पास मेंचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के लिए यह विमान निकला था.
वायु सेना के प्रवक्ता ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी ने बुधवरा को बताया कि जंगल, दुर्गम घाटी और इलाके में खराब मौसम के बावजूद खोज और बचाव अभियान तेज कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि हवाई सेंसर से मिली अहम सूचनाओं का गहन आकलन किया जा रहा है. मौसम के कारण वायु सेना और सेना के हेलिकॉप्टरों से चलाए जा रहे खोज अभियान पर असर पड़ा है. हालांकि, थल सेना और नौसेना, पुलिस और प्रशासन की सहायता के कारण जमीन पर दलों का काम रात भर जारी रहा.
तलाशी अभियान में लगा दो सुखोई-30 विमान
वायु सेना के सूत्रों ने बताया कि लापता विमान की तलाश के अभियान में तीसरे दिन यानी बुधवार को दो सुखोई-30 विमानों को भी लगाया गया. इसके अलावा सी-130 जे और एएन 32 विमानों और दो मिग-17 तथा एएलएच के दो हेलिकॉप्टरों की भी सेवाएं ली जा रही है. सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और राज्य पुलिस के कर्मी भी जमीन पर अभियान में जुटे हुए हैं.
नहीं मिला सिग्नल
सैन्य सूत्रों ने बताया कि बचाव कर्मियों को लापता विमान में आपात लोकेटर बीकन से कोई सिग्नल नहीं मिला है. ऐसी आशंका है कि उपकरण शायद काम नहीं कर रहा होगा. उन्होंने बताया कि लापता हुआ विमान नवीनतम वैमानिकी और रडारों के साथ अद्यतन नहीं हुआ था, हालांकि कुछ ए एन-32 विमानों में अत्याधुनिक प्रणाली है.
इसरो की मदद
वायु सेना के अधिकारियों ने बताया कि विमान की तलाश में जुटे बचावकर्मियों की मदद के लिए इसरो के कार्टोसेट और रिसैट उपग्रहों से मेंचुका के आसपास के इलाके की तस्वीरें ली जा रही है. उन्होंने बताया कि जंगल और दुर्गम घाटी होने के कारण बचाव अभियान काफी चुनौतीपूर्ण है. वायु सेना विमान पर सवार कर्मियों के परिवारों को बचाव अभियान के बारे में लगातार जानकारी दे रही है.
अंतिम बार सोमवार दोपहर एक बजे हुआ था संपर्क
वायुसेना ने सोमवार को कहा था कि मेंचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए जोरहाट से इस विमान ने दिन में 12 बजकर 27 मिनट पर उड़ान भरी थी और एक बजे इससे आखिरी बार संपर्क हुआ था.