नयी दिल्ली : इच्छामृत्यु को वैध बनाने के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया. उच्चतम न्यायालय ने इच्छामृत्यु को वैध बनाने के मामले में मदद करने के लिए पूर्व सॉलिसिटर जनरल टीआर अंध्यारुजिना को अदालत मित्र नियुक्त किया.
सुनवाई के दौरान केंद्र ने अदालत के समक्ष कहा है कि इच्छामृत्यु (पैसिव) आत्महत्या का एक स्वरुप है जिसे अनुमति नहीं दी जा सकती.न्यायालय ने यह आदेश एक एनजीओ कामन काज द्वारा दायर की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. दायर याचिका पर में यह कहा गया है कि जब चिकित्सा विशेषज्ञ किसी मरीज के बारे में यह राय देते हैं कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है, तो उसे जीवन रक्षक उपकरणों का सहारा लेने से इनकार करने का अधिकार दिया जाना चाहिए .
गौरतलब है कि बलात्कार की शिकार अरुणा शानबाग की पीड़ा कम करने के लिए उनके हितैषियों ने इच्छामृत्यु की मांग की है. अरुणा शानबाग के एक नर्स थीं और उनके साथ अस्पताल के एक सफाई कर्मचारी ने बलात्कार किया था. इस दौरान उसने अरुणा के गले को कुत्ते की चेन से बांध दिया था. जिससे उसके मस्तिष्क में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो गयी और वह कोमा में चली गयी. पिछले 41 वर्ष से अरुणा उसी स्थिति में है.