अमलेश नंदन
जम्मूः पाकिस्तानी रेंजर्स की ओर से जम्मू में पिछले तीन दिनों से रूक रूक कर कई बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया है.इससे साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान आर्मी अपने को काफी मजबूत समझती है.पिछले दस सालों में सैकडो बार भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान की ओर से सीमा पर की जा रही गोलियों का सामना करना पडा.
पाक ने फिर किया सीज फायर का उल्लघंन, एक जवान शहीद
मनमोहन सरकार के समय में भी पाकिस्तानी सैनिक सीज फायर का उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहे थे और अब मोदी सरकार में भी पाकिस्तानी सैनिकों के हौसले में कोई कमी नहीं आयी है. बुधवार को भी बीएसएफ के एक जवान को अपनी जान गंवानी पडी. इसके अलावे पांच सैनिक बुरी तरह जख्मी हो चुके हैं. सोमवार को भी पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से सीज फायर का उल्लंघन किया गया था. जवाब में भारतीय सैनिकों ने भी फायरिंग की थी. मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही पाकिस्तानी हुकमरान अपने डर का प्रदर्शन करने लगे थे. तो क्या वह डर केवल दिखावा था.
बुधवार को भी बीएसएफ के एक जवान को अपनी जान गंवानी पडी.इसके अलावे पांच सैनिक बुरी तरह जख्मी हो चुके हैं. सोमवार को भी पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से सीज फायर का उल्लंघन किया गया था. जवाब में भारतीय सैनिकों ने भी फायरिंग की थी. मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही पाकिस्तानी हुकमरान अपने डर का प्रदर्शन करने लगे थे. तो क्या वह डर केवल दिखावा था.
जब से मोदी सरकार हरकत में आयी, तब से लेकर अभीतक पाकिस्तान ने 12 से ज्यादा बार सीज फायर का उल्लंघन किया है. भारतीय सैनिक सरकार की विदेश नीति और कठोर निर्णय लेने में असमर्थता के कारण पाकिस्तानी गोलियों का शिकार होती है. पिछले दो सालों में 45 से ज्यादा बार पाकिस्तान ने सीज फायर का उल्लंधन किया और इसमें दर्जनों सैनिक घायल हुए. इस घटनाओं से कई बार कितने बेगुनाह सैनिकों को जान से हाथ भी धोना पडा.
क्यों होता है सीज फायर का उल्लंघन
पाकिस्तानी सैनिकों का सोचना है कि उनकी आर्मी काफी शक्तिशाली है और भारतीय सैनिक उनका मुकाबला नहीं कर पायेंगे. दूसरी बात है के भारतीय राजनेता उदार नीति के लिए विख्यात हैं. भारत में सहनशक्ति की परीक्षा हर वक्त देने को तैयार राजनेता, पाकिस्तान की बडी से बडी गलतियों को भी माफ करने को तैयार रहते हैं. भारत ने कभी भी सीज फायर उल्लंघन का ठोस जवाब पाक को नहीं दिया है.
सरकारे केवल गरजती हैं, बरसती नहीं
अबतक जितनी भी सरकारें सत्ता में आयीं, सभी ने केवल गरजने का काम किया. एक दो वाकयों को छोड दें तों कभी भी पाक के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की हिम्मत किसी भी भारतीय सरकार ने नहीं दिखायी. कई बार सीमा पर छोटी बडी लडाइयां भी हुई लेकिन दस दौरान भी दूसरे क्षेत्रों में धोखे से पाक सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को मारने का काम नहीं छोडा. अमानवीय कार्यों में भी पाक सैनिकों ने कई वारदात को अंजाम देते हुए भारतीय सैनिकों की गरदन से सिर गायब किये.
वाजपेयी ने लगायी थी लगाम
लगभग दस साल पूर्व 2000 से 2003 के आसपास तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान पर कुछ हद तक लगाम लगाने का काम किया था. उनके कार्यकाल में पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड जवाब दिया था. वाजपेयी के कार्यकाल में सबसे कम बार सीज फायर का उल्लंघन किया गया. मोदी अभी देश से बाहर हैं और संसद के दोनों सदन भी चल रहे हैं ऐसे में इस मामले पर फैसला लेने का पूरा दारोमदार सरकार में दूसरे नंबर पर चल रहे राजनाथ सिंह का है
मोदी पडोसियों से संबंध सुधारने में व्यस्त
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में पडोसी मुल्कों के नेताओं से मिलकर संबंध सुधारने की कवायद में लगे हुए हैं. चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग से मंगलवार को मुलाकात को भी मोदी ने काफी कारगर बताया है. चीन की ओर से सीज फायर का उल्लंघन किया जाता है. लेकिन पाकिस्तान उसमें उससे ज्यादा आगे है. मोदी और चिनपिंग को अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी सकारात्मक बताया जा रहा है. कहीं इसी से खींजकर पाक सैनिक ऐसी हरकत तो नहीं कर रहे. विद्वानों का मत है कि अगर ऐसा है तो मोदी को वहीं से कोई ठोस निर्णय लेना चाहिए और पाकिस्तान का मुंहतोड जवाब देना चाहिए.