नयी दिल्ली : मानसून आठ दिन की देरी के बाद शनिवार को केरल के तट पर दस्तक दे चुका है. अमूमन एक जून को केरल से टकराने वाला मानसून इस बार आठ जून को पहुंचा जिसका इंतजार पूरे देश में किया जा रहा था. दक्षिण पश्चिम मानसून ही उत्तर और मध्य भारत सहित देश के अधिकांश इलाकों में लगभग चार महीने तक चलने वाली बारिश की ऋतु का वाहक माना जाता है.
मौसम विभाग के नवनियुक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने मानसून के पूर्वानुमान के मुताबिक आठ जून को केरल तट पर पहुंचने की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि केरल के तटीय इलाकों में अच्छी मात्रा में मानसून की पहली बारिश दर्ज की गयी. विभाग ने पिछले महीने दक्षिण पश्चिमी मानसून के केरल तट पर छह जून को पहुंचने का पूर्वानुमान व्यक्त किया था लेकिन हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने में देरी के कारण मानसून की आमद में दो दिन का विलंब हो गया. देश में मानसून के दस्तक देने की खबर, भीषण गर्मी, कृषि संकट और जलाशयों के तेजी से गिरते जलस्तर की चिंता से राहत देने वाली साबित होगी.
दक्षिण-पूर्व अरब सागर में लो प्रेशर
मौसम विभाग (आईएमडी) की मानें तो, दक्षिण में लक्षद्वीप के ऊपर चक्रवाती क्षेत्र नजर आ रहा है. यही नहीं दक्षिण-पूर्व अरब सागर में लो प्रेशर क्षेत्र भी बनता दिख रहा है. तटीय इलाकों में अच्छी बारिश हो रही है. मानसून के अगले 24 घंटे में पूर्वोत्तर के त्रिपुरा में दस्तक देने का अनुमान है. आपको बता दें कि स्काईमेट ने इस साल 93% और मौसम विभाग ने 96% बारिश की संभावना जाहिर की है. मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार नौ जून के लिए केरल के आठ जिलों तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, अलपुझा, कोट्टयम, एर्नाकुलम, त्रिशूर, मल्लाप्पुरम और कोझिकोड में ऑरेंज अलर्ट जारी करने का काम किया जा चुका है. इतना ही नहीं दस जून को त्रिशूर में रेड अलर्ट रहेगा. एर्नाकुलम, मलाप्पुरम और कोझिकोड जिले में 11 जून को मौसम विभाग की ओर से रेड अलर्ट जारी किया गया है. इन इलाकों में भारी बारिश होने की आशंका व्यक्त की गयी है. पिछले पांच सालों की बात करें तो मानसून ने 2014 में 5 जून को, 2015 में 6 जून को और 2016 में 8 जून को दस्तक दी थी. जबकि, 2018 में मानसून केरल में तीन दिन पहले 29 मई को पट से टकराया था. पिछले साल देश में सामान्य बारिश हुई थी.
उत्तर एवं मध्य भारत में भीषण गर्मी का असर
गौरतलब है कि उत्तर एवं मध्य भारत में भीषण गर्मी का असर पश्चिम और दक्षिणी राज्यों के जलाशयों पर भी पड़ा है. इन इलाकों में देश के प्रमुख जलाशयों का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है जिसकी वजह से महाराष्ट्र और राजस्थान सहित आसपास के तमाम सूखा ग्रस्त इलाकों में जलसंकट की समस्या गहरा जाती है. इसके अलावा देश का अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र कृषि एवं सिचाई जरूरतों के लिये दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान चार महीने तक होने वाली बारिश पर ही निर्भर रहता है. देश में कुल वर्षाजल का 75 प्रतिशत हिस्सा दक्षिण पश्चिमी मानसून से मिलने के कारण इसमें होने वाली बारिश की प्रचुरता का सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है.
उत्तरी क्षेत्रों में जून के अंतिम और जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून पहुचंने की संभावना
केरल तट पर मानसून की दस्तक के साथ ही, भीषण गर्मी से झुलस रहे उत्तरी और मध्य भारत के मैदानी क्षेत्रों तथा दक्षिणी राज्यों में तापमान में गिरावट आने की भी उम्मीद जगी है. मैदानी इलाकों में इन दिनों अधिकतम तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है. वहीं, राजस्थान के चुरू और आसपास के इलाकों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस का स्तर पार कर गया है. मौसम विभाग ने उत्तरी क्षेत्रों में जून के अंतिम और जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून पहुचंने की संभावना व्यक्त की है. मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में पूर्वानुमान से तकरीबन दो- तीन दिन की देरी से मानसून 29 जून को पहुंच सकता है. हालांकि निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काईमेट ने इसमें एक सप्ताह तक की देरी का अनुमान व्यक्त किया है. मौसम विभाग ने दिल्ली और उत्तर पश्चिमी इलाकों सहित लगभग पूरे देश में मानसून की सामान्य बारिश होने की संभावना जतायी है.