-रजनीश आनंद-
रांची : कठुआ गैंगरेप मामले में आज विशेष अदालत ने सात आरोपियों में से छह को दोषी करार दिया है, सजा का ऐलान बाद में होना है, उम्मी की जा सकती है कि कोर्ट उन्हें ऐसी सजा देगा, जिससे समाज से रेप की घटनाओं को रोकने में मदद मिले. लेकिन क्या हमारा ऐसा कहना सही होगी? यह सवाल इसलिए कि देश में जो आंकड़े सामने आते हैं, वे यह बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में से रेप एक प्रमुख अपराध है और इसकी दर में कमी आती नहीं दिखती है. वर्ष 2012 की 16 दिसंबर को जब दिल्ली में निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ था और उसके साथ इस कदर की हैवानिय हुई थी कि उसका आंत तक बाहर आ गया था, तो जस्टिस वर्मा कमेटी की गठन हुआ और इस कमेटी ने अपनी सिफारिशों में रेप के आरोपियों के लिए कठिन सजा का प्रावधान किया.
साथ ही सरकार ने बच्चियों को इस तरह के अपराध से बचाने के लिए यह कानून बनाया कि 12 साल की बच्चियों के साथ अगर रेप हुआ तो अपराधियों को मौत की सजा मिलेगी. रेप के आरोपी नाबालिगों के लिए भी कानून में सजा का प्रावधान किया गया है, बावजूद इसके देश में बलात्कार और बलात्कार की कोशिश की घटनाएं नहीं रूक रही हैं. आये दिन बलात्कार की घटनाएं हमारे सामने आ रही हैं, चौंकाने वाले आंकड़े यह है कि आजकल बच्चियों को निशाना बनाया जा रहा है और रेप के बाद उनकी हत्या तक कर दी जा रही है.
छह साल से कम उम्र की बच्चियां भी हो रहीं रेप की शिकार
वहीं 18 साल से अधिक और 30 साल से कम की 16462 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुईं, जबकि 30 साल से अधिक और 45 साल से कम की 5192 महिलाएं रेप की शिकार हुईं. 45 साल से अधिक और 60 साल से कम उम्र की 494 महिलाएं देश भर में रेप की शिकार हुईं, वहीं 60 साल और उससे अधिक की 57 महिलाओं के साथ भी रेप के मामले दर्ज हुए. देश भर में 22205 बालिग महिलाएं रेप की शिकार हुईं. आंकड़ों के अनुसार देश में 43.2 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो नाबालिग हैं और रेप की शिकार हुईं, जबकि 56.8 प्रतिशत बालिग महिलाएं रेप विक्टिम हैं. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि देश में रेप विक्टिम अपने परिचितों और रिश्तेदारों के द्वारा सर्वाधिक पीड़ित होती हैं.