पठानकोट (पंजाब) : कठुआ दुष्कर्म और हत्या कांड में बरी किये गये एकमात्र आरोपी को इस आधार पर छोड़ दिया गया था कि निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष के तीन चश्मदीद गवाहों के बयानों को नहीं माना जिन्होंने दावा किया था कि मुख्य दोषी सांजी राम का बेटा विशाल जंगोत्रा अपराध के वक्त इलाके में था. जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने विशाल की मकान मालकिन के इस बयान को माना कि वह उत्तर प्रदेश के मेरठ में था जहां वह कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है.
गत 10 जून को दिये गये 432 पन्नों के फैसले के अनुसार अभियोजन पक्ष के वकील ने तीन चश्मदीदों के बयान पर भरोसा किया था जिन्होंने पिछले साल 13 और 14 जनवरी को विशाल को कठुआ में देखे जाने का दावा किया था.
उन्होंने फोरेंसिक विशेषज्ञ की इस राय को भी माना कि विशाल के लिखाई के नमूनों का मिलान नहीं हुआ. फैसले के अनुसार, ‘अभियोजन पक्ष का दावा है कि कथित रिपोर्ट (हाथ की लिखाई) के अनुसार कथित हस्ताक्षर आम तौर पर लिखाई के मानक अक्षरों से मेल नहीं खाते.”
विशाल ने अपने कॉलेज की उपस्थिति पंजी में किये गये दस्तखत अदालत में पेश कर यह साबित करने का प्रयास किया था कि वह मेरठ में था और जम्मू कश्मीर में नहीं था जैसा कि अभियोजन पक्ष का दावा था. अभियोजन ने अपराध के दिनों में विशाल के कठुआ में ही मौजूद होने के तथ्य को साबित करने के लिए मोबाइल कंपनियों के सबूत भी पेश किये.
अभियोजन पक्ष के चश्मदीदों का विश्लेषण करते हुए अदालत ने कहा कि उसकी राय है कि ये गवाह पहचान को लेकर कोई गलती कर रहे हैं. कठुआ में विशाल के नहीं होने के संबंध में टीवी पर एक खबर देखकर एक चश्मदीद अपराध शाखा के अधिकारियों के पास पहुंचा और उसने विशाल को परवेश के साथ देखने का दावा किया. परवेश को मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है.
कठुआ में बंजारा समुदाय की आठ साल की लड़की के खिलाफ अपराध को अंजाम दिया गया था. बंजारा समुदाय के चश्मदीदों ने अदालत में विशाल और परवेश की पहचान की लेकिन जज ने उनके बयान को नहीं माना और कहा कि इन लोगों ने समाचार चैनल या उसके स्टाफ के खिलाफ किसी अधिकारी के समक्ष कोई शिकायत कभी दाखिल नहीं की.
उन्होंने कहा कि विशाल जंगोत्रा के बचाव पक्ष द्वारा रखे जा रहे दस्तावेजी सबूतों की तुलना में इन गवाहों के मौखिक साक्ष्यों को तरजीह नहीं दी जा सकती. अदालत ने सात आरोपियों में से केवल विशाल को बरी किया था. इस मामले में तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है जिनमें विशाल का पिता सांजी राम, परवेश कुमार और दीपक खजुरिया हैं. तीन पुलिसकर्मियों को साक्ष्य नष्ट करने के मामले में पांच साल कैद की सजा सुनाई गयी है.
दोषी ठहराये गये परवेश कुमार ने अपने इकबालिया बयान में कहा था कि अपराध के समय विशाल उसके साथ था. अपराध शाखा कहती आ रही है कि विशाल 13 जनवरी को अपने गांव आया था और 14 जनवरी को लौट गया था. अदालत ने विशाल की मकान मालकिन सुमन शर्मा के बयान को संज्ञान में लिया जिन्होंने कहा था कि वह पूरे समय मेरठ में था जहां वह पढ़ाई कर रहा है.