ऑनलाइन ठगी मामला : अमेरिकी नागरिकों का बयान दर्ज करने के लिए FBI की मदद लेगी एमपी पुलिस

इंदौर : मध्यप्रदेश पुलिस का साइबर दस्ता यहां से संचालित तीन कॉल सेंटरों की ऑनलाइन ठगी के शिकार अमेरिकी नागरिकों के बयान दर्ज करने में अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) की मदद लेगा. राज्य साइबर सेल की इंदौर इकाई के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि हम एफबीआई को अमेरिका के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2019 6:18 PM

इंदौर : मध्यप्रदेश पुलिस का साइबर दस्ता यहां से संचालित तीन कॉल सेंटरों की ऑनलाइन ठगी के शिकार अमेरिकी नागरिकों के बयान दर्ज करने में अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) की मदद लेगा. राज्य साइबर सेल की इंदौर इकाई के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि हम एफबीआई को अमेरिका के करीब 100 नागरिकों की सूची जल्द ही सौंपकर अनुरोध करेंगे कि वह ऑनलाइन ठगी मामले में अमेरिका में ही उनके बयान दर्ज कर इनकी प्रति हमारे साथ साझा करे. ये वे अमेरिकी नागरिक हैं, जिन्हें ठग गिरोह ने इंदौर में बैठे-बैठे चूना लगाया है.

इसे भी देखें : Fake Call Centre : 10 लाख अमेरिकी नागरिकों का निजी डेटा चुराकर ठगी, 78 गिरफ्तार

उन्होंने बताया कि एफबीआई के एक विशेष एजेंट ने भोपाल में राज्य साइबर सेल मुख्यालय में विशेष पुलिस महानिदेशक पुरुषोत्तम शर्मा और अन्य आला अधिकारियों से गुरुवार को ही मुलाकात की. सिंह ने बताया कि ऑनलाइन ठगी के शिकार अमेरिकी नागरिकों की पहचान कर उनके बयान दर्ज करने में एफबीआई ने प्रदेश पुलिस के साइबर दस्ते को मदद का भरोसा दिलाया है. उन्होंने बताया कि एफबीआई का एक दल मामले की जांच में सहयोग के मकसद से इस महीने के आखिर तक इंदौर पहुंच सकता है.

पुलिस के साइबर दस्ते ने अमेरिकी नागरिकों से ऑनलाइन ठगी के बड़े गिरोह का खुलासा करते हुए 11 जून को यहां तीन कॉल सेंटरों का भंडाफोड़ किया था. इनसे जुड़े 78 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें 19 युवतियां शामिल हैं. पुलिस को गिरोह के पास करीब 10 लाख अमेरिकी नागरिकों के सामाजिक सुरक्षा नंबर, मोबाइल नंबर और उनका अन्य निजी डेटा मिला है.

पुलिस के जांचकर्ता अधिकारियों ने बताया कि गिरोह के टेलीकॉलर खुद को कथित तौर पर अमेरिका के सामाजिक सुरक्षा विभाग की सतर्कता इकाई के अफसर बताकर वहां के नागरिकों को झांसा देते थे कि उनके सामाजिक सुरक्षा नंबर का उपयोग धनशोधन और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में किया गया है.

उन्होंने बताया कि टेलीकॉलरों द्वारा अमेरिकी लोगों से कथित तौर पर कहा जाता था कि मामले को ‘रफा-दफा’ करने के लिए उन्हें कुछ रकम चुकानी होगी. वर्ना उनके सामाजिक सुरक्षा नम्बर को ब्लॉक कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.

Next Article

Exit mobile version