मॉनसून सत्र : दोनों सदनों में गूंजा चमकी बुखार से हो रहे बच्चों की मौत का मामला
ब्यूरो, नयी दिल्ली मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में चमकी बुखार यानिएक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण हो रही बच्चों की मौत को लेकर राजनीति शुरू हो गयी है. विपक्ष सरकार पर लापरवाही बतरने का आरोप लगा रही है. शुक्रवार को चमकी बुखार से बच्चों की हो रही मौत का मामला लोकसभा और राज्यसभा में […]
ब्यूरो, नयी दिल्ली
मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में चमकी बुखार यानिएक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण हो रही बच्चों की मौत को लेकर राजनीति शुरू हो गयी है. विपक्ष सरकार पर लापरवाही बतरने का आरोप लगा रही है. शुक्रवार को चमकी बुखार से बच्चों की हो रही मौत का मामला लोकसभा और राज्यसभा में उठा. शून्यकाल में मामला उठाते हुए पश्चिमी चंपारण के भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में चमकी बुखार के कारण हो रही बच्चों की मौत दुखद है.
जापानी इंसेफलाइटिस के कारण होने वाली मौत को रोकने के लिए वर्ष 2014 में संसदीय समिति विश्व के सबसे बड़े वॉयरोलॉजी सेंटर अटलांटा गयी थी. वहां के वैज्ञानिकों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. लेकिन वैज्ञानिक भी इसके कारणों का पता लगाने में नाकाम रहे. जायसवाल ने सरकार से मांग की कि पटना एम्स या अन्य किसी अस्पताल में एक वॉयरोलॉजी सेंटर का गठन किया जाए.
साथ ही इसके रोकथाम के लिए उन्होंने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से प्रभावित क्षेत्रों में दो महीने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए रात के भोजन की व्यवस्था करे. उन्होंने कहा कि चमकी बुखार में ब्लड शुगर का लेवल कम हो जाता है. ऐसे में प्रभावित क्षेत्रों के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर ग्लूकोज और ग्लुकोमीटर की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए.
कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण बिहार चमकी बुखार के चपेट में है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाईयां और अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है. सरकार इस मामले को लेकर संवेदनशील नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार में डॉक्टरों की भारी कमी है. केंद्र सरकार आयुष्मान भारत योजना का ढोल पीट रही है और लोगों को अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही है.
उन्होंने सभी मृत बच्चों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की. कांग्रेस के सदस्य लोकसभा में इस मामले पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से जवाब की भी मांग करने लगे. लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जवाब देने के लिए मंत्री को बाध्य नहीं किया जा सकता है. वहीं, राज्यसभा में चमकी बुखार से मरे बच्चों के लिए एक मिनट का मौन रखा गया.
शून्यकाल में मामला उठाते हुए केरल के माकपा सांसद बिनॉय ने चमकी बुखार के कारण बच्चों की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकार बच्चों की मौत को दुर्घटना मान रही है, जबकि यह हत्या का मामला है. इस बीमारी में गरीबों के बच्चे मर रहे हैं. सरकार के आंकड़े के अनुसार अभी तक 130 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कई रिपोर्ट में यह संख्या अधिक बतायी गयी है.
सरकार का कहना है कि इसके लिए बड़ी संख्या में डॉक्टरों की तैनाती की गयी है. लेकिन बड़ी संख्या में डॉक्टर समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं क्योंकि अस्पताल में दवा और इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. बच्चे कुपोषण के कारण मर रहे हैं. बच्चों को खाना, स्वच्छ पानी और प्रोटीन नहीं मिल रहा है. सरकार को गरीबी दूर करने पर ध्यान देना होगा. कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि यह गंभीर मामला है और हमारी मांग है कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री सदन में आकर बयान दें. कई सदस्यों ने प्रश्नकाल स्थगित कर इस विषय पर चर्चा कराने की मांग, जिसे सभापति ने खारिज कर दिया.