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आधार संशोधन बिल-2019 लोकसभा में पेश, सिम खरीदने और खाता खुलवाने में अब जरूरी नहीं

नयी दिल्ली : आधार अधिनियम-2016 और भारतीय तार अधिनियम-1885 तथा धनशोधन निवारण अधिनियम-2002 का और संशोधन करने वाले विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया. केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ‘आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक, 2019′ पेश किया और विपक्ष के एक सदस्य की आपत्तियों को खारिज करते […]

नयी दिल्ली : आधार अधिनियम-2016 और भारतीय तार अधिनियम-1885 तथा धनशोधन निवारण अधिनियम-2002 का और संशोधन करने वाले विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया. केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ‘आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक, 2019′ पेश किया और विपक्ष के एक सदस्य की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि इसमें कानूनों का अनुपालन किया गया है.

विधेयक पेश किये जाने पर विरोध जताते हुए आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के 26 सितंबर, 2018 के एक फैसले की भावना के खिलाफ है. उन्होंने आधार डेटा को लेकर भी चिंता जतायी. प्रेमचंद्रन की आपत्तियों को खारिज करते हुए प्रसाद ने कहा कि आधार एक वैध कानून है. इसमें किसी की निजता का उल्लंघन नहीं होता.

इसे भी देखें : ‘आधार’ नहीं बनवानेवाले अपराधी नहीं : सुप्रीम कोर्ट

उन्होंने कहा कि पहले ही साफ हो चुका है कि सिमकार्ड खरीदने या बैंक खाता खुलवाने जैसी सेवाओं में आधार अनिवार्य नहीं है. विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद यह इस संबंध में सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश की जगह ले लेगा. इस विधेयक में प्राधिकरण द्वारा इस तरह की रीति में बारह अंकों की आधार संख्या तथा इसकी वैकल्पिक संख्या जनित करने का उपबंध करने का प्रावधान है, जैसी किसी व्यक्ति की वास्तविक आधार संख्या को छिपाने के लिए विनियमों द्वारा तय किया जाए.

इसके माध्यम से आधार संख्या धारण करने वाले बालकों को अठारह वर्ष की उम्र पूरा करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प देना है. इसके जरिये अधिप्रमाणन या ऑफलाइन सत्यापन या किसी अन्य ढंग द्वारा भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग करने का उपबंध करना है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जायेगा.

आधार संख्या के ऑफलाइन सत्यापन का अधिप्रमाणन केवल आधार संख्या धारक की सहमति से ही किया जा सकता है. अधिप्रमाणन से इंकार करने या उसमें असमर्थ रहने पर सेवाओं से इंकार का निवारण भी शामिल है. इसके तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण निधि की स्थापना का प्रावधान किया गया है.

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