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अमरनाथ यात्रा: आधुनिक तकनीक से श्रद्धालुओं के जत्थे की निगरानी, 40 हजार से ज्यादा जवान तैनात

श्रीनगरः बाबा बर्फानी यानी अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा रविवार से शुरू हो गयी है. श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज पहलगाम और बालटाल से आगे की ओर निकल गया. इस बार अमरनाथ यात्रा को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एक बहुस्तरीय सुरक्षा इंतजाम किया गया है. आधुनिक तकनीक से […]

श्रीनगरः बाबा बर्फानी यानी अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा रविवार से शुरू हो गयी है. श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज पहलगाम और बालटाल से आगे की ओर निकल गया. इस बार अमरनाथ यात्रा को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एक बहुस्तरीय सुरक्षा इंतजाम किया गया है. आधुनिक तकनीक से श्रद्धालुओं के जत्थे की निगरानी हो रही है. जीपीएस और आरआइएफडी तकनीक से श्रद्धालुओं के जत्थे पर नजर रखी जा रही है. ड्रोन और खोजी कुत्तों के दस्ते भी तलाशी अभियान में लगे हैं.

जम्मू रेलवे स्टेशन से लेकर पवित्र अमरनाथ यात्रा के पूरे रूट पर 40 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है ताकि आतंकी कुछ न कर पाएं. यात्रा मार्ग पर जवाहर सुरंग से लेकर पहलगाम और जवाहर सुरंग-अनंतनाग-पांपोर-पंथाचौक-एचएमटी क्रासिंग-गांदरबल-कंगन मार्ग को तीर्थयात्रा के मददेनजर अत्यंत संवेदनशील घोषित किया गया है.

यात्रा शुरू होने से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा बैठक की थी. बता दें कि 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले के बाद से घाटी में आतंकवाद के खिलाफ केंद्र का सख्त एक्शन जारी है. सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन ऑलआउट में इस साल अब तक 130 आतंकियों को ढेर किया है. कश्मीर में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं. हाल में 12 जून को हुए अनंतनाग हमले ने अमरनाथ यात्रा के लिए खतरे का अलर्ट और बढ़ा दिया है.
अमरनाथ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले अनंतनाग में 12 जून को आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे. खासकर बालटाल मार्ग से अमरनाथ यात्रा को आतंकी निशाना बना सकते हैं. ऐसी खुफिया अलर्ट भी है. गौरतलब है कि अमरनाथ यात्रा 15 अगस्त तक चलेगी. यह यात्रा अनंतनाग जिले के 36 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग और गांदेरबल जिले के 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से होती है. गांदेरबल में आईटीबीपी के जवान मुस्तैद हैं.
आतंकियों के निशाने पर रही है यात्रा
वर्ष 1990 में राज्य में आतंकी हिंसा शुरू होने के बाद से ही बाबा अमरनाथ यात्रा आतंकियों के निशाने पर रही है. इसकी सुरक्षा हमेशा ही बड़ी चुनौती रही है. आतंकी संगठन हरकत उल अंसार ने 1990 की शुरुआत में इस यात्रा का विरोध किया था. आतंकियों ने साल 1993 में पहली बार अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया. लेकिन अमरनाथ यात्रा पर सबसे बड़ा हमला हुआ 200 में जिसमें 32 श्रद्धालुओं की जान गयी.
2017 में श्रद्धालुओं की बस पर भी हमला हुआ था. आंकड़ों के मुताबिक, 1993 से अबतक 26 साल में अमरनाथ यात्रा पर 14 हमले हो चुके हैं जिनमें 68 लोगों को जान गंवानी पड़ी है. वर्ष 1995 के बाद से किसी आतंकी संगठन ने इस यात्रा पर पाबंदी नहीं लगाई, लेकिन श्रद्धालुओं को निशाना बनाने का आतंकी हर मौके का फायदा उठाने की ताक में रहते हैं.
बीते एक वर्ष में भारत-पाकिस्तान सीम पर बढ़ी सरगर्मी से इस बार यात्रा पर संकट ज्यादा है. पाकिस्तान के साथ सख्त रुख अपनाने और घाटी में आतंकियों के सफाये के लिए चल रहे ऑपरेशन ऑलआउट के मद्देनजर इस बार अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं.

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