नयी दिल्लीः गृहमंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश किया. उन्होंने ने राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का भी प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया. जम्मू-कश्मीर में आरक्षण संबंधित बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी सरकार और विपक्ष के बीच तीखी तकरार जारी है. उम्मीद है कि […]
नयी दिल्लीः गृहमंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश किया. उन्होंने ने राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का भी प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया. जम्मू-कश्मीर में आरक्षण संबंधित बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी सरकार और विपक्ष के बीच तीखी तकरार जारी है. उम्मीद है कि गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार का रुख साफ करेंगे.
बता दें कि संसद के बजट सत्र का आज 11वां कार्यदिवस है. राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने बढ़ाने के प्रस्ताव पर जहां मुहर लगने की संभावना है. इससे पहले राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य जयराम रमेश ने हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इस संबंध में एक व्यापक अध्ययन कराने और हिमालयी ग्लेशियर राष्ट्रीय संस्थान को मजबूत बनाने की मांग की.
गौरतलब है किलोकसभा में शुक्रवार को लंबी चर्चा के बाद जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई. केंद्रीय गृह मंत्री ने जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के लिए शुक्रवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया था. विधेयक के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए गृहमंत्री ने कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की दिक्कतों का जिक्र किया और कहा कि उन्हें राज्य की आरक्षण व्यवस्था का लाभ मिलना चाहिए.
क्या है इस विधेयक में
आरक्षण संशोधन विधेयक विधेयक के तहत जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 3 फीसदी आरक्षण को विस्तार दिया गया है. जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम सीधी भर्ती, प्रमोशन और विभिन्न श्रेणियों में कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण देता है, लेकिन इसका विस्तार अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे व्यक्तियों के लिए नहीं था. लेकिन इस बिल के कानून बन जाने के बाद यह लोग भी आरक्षण के दायरे में आ जाएंगे.