नयी दिल्ली : दिल्ली की एक विशेष अदालत ने कोयला खदान आवंटन घोटाला मामले में सोमवार को उद्योगपति नवीन जिंदल और चार अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया. विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने जिंदल एवं अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420 (धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया.
जिंदल के अलावा जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के पूर्व निदेशक सुशील मारू, पूर्व उपप्रबंध निदेशक आनंद गोयल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी विक्रांत गुजराल और कंपनी की ओर से हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत अधिकारी डीएन अबरोल के खिलाफ आरोप तय किया जाना है.
अदालत मध्यप्रदेश में अर्टन नॉर्थ कोयला खदान के आवंटन से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी. अदालत ने मामले में आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय करने के लिए 25 जुलाई की तारीख तय की है.
झारखंड में अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला खदान आवंटन मामले में कथित अनियमितताओं से संबंधित अन्य मामले में पूर्व कोयला राज्य मंत्री दसारी नारायण राव और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के साथ जिंदल को भी आरोपी बनाया गया है.
मामले में सीबीआइ के आरोपपत्र के अनुसार, आरोपियों ने मध्यप्रदेश कोल ब्लॉक का अधिकार पाने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष अपने जनवरी, 2007 के आवेदन में गलत तथ्य दिये थे और गलत तरीके से लाभ पाने के लिए कोयला मंत्रालय को धोखे में रखा, जिसकी वजह से इस कोयला खदान के लिए उनके नाम की सिफारिश की गयी.
मंत्रालय ने अक्टूबर, 2009 में कंपनी को आवंटन पत्र जारी किया था. जांच एजेंसी ने आरोपपत्र में 60 दस्तावेजों को जोड़ने के अलावा अपने मामले को साबित करने के लिए 64 व्यक्तियों के नाम अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर शामिल किये हैं.
आरोपपत्र में कहा गया है कि प्रतिक्रिया फॉर्म में कंपनी ने दो मायने में गलत दावे किये कि उसने झारखंड के पतरातू परियोजना के लिए पहले ही 964 एकड़ भूमि अधिग्रहीत कर ली है और उसने ओड़िशा में अपने अंगुल परियोजना के लिए 4,340 करोड़ रुपये के उपकरण का ऑर्डर दे दिया है.