बजट भाषण में सीतारमण ने किया विवेकानंद, महात्मा गांधी और बसवेश्वर का उल्लेख
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में अंग्रेजी में दिये गये बजट भाषण में बीच-बीच में हिंदी, संस्कृत, उर्दू और तमिल भाषा में कुछ बातें कहीं और स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी तथा समाज सुधारक कन्नड संत बसवेश्वर की उक्तियों का भी उल्लेख किया. सीतारमण ने बजट भाषण की शुरुआत में […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में अंग्रेजी में दिये गये बजट भाषण में बीच-बीच में हिंदी, संस्कृत, उर्दू और तमिल भाषा में कुछ बातें कहीं और स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी तथा समाज सुधारक कन्नड संत बसवेश्वर की उक्तियों का भी उल्लेख किया.
सीतारमण ने बजट भाषण की शुरुआत में सरकार के कार्यों का उल्लेख करते हुए चाणक्य नीति का सूत्र ‘कार्य पुरुष कारेण लक्ष्यं संपद्यते’ पढ़ा. उन्होंने इसका अर्थ बताते हुए कहा कि दृढ़संकल्प के साथ किया गया कार्य पूरा होता है और सरकार इसका पालन करती है. उन्होंने उर्दू शायर मंजूर हाशमी का एक शेर पढ़ते हुए कहा, यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है. सीतारमण ने अपने करीब सवा दो घंटे के बजट भाषण में लंबे समय तक ग्रामीण भारत की बात की और इस दौरान महात्मा गांधी के इस वाक्य को उद्धृत किया, ‘देश की आत्मा गांवों में बसती है.’
वित्त मंत्री ने जब नारी सशक्तीकरण की बात की तो ‘नारी तू नारायणी’ के सूत्र का जिक्र किया और कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि दुनिया का कल्याण तब तक नहीं हो सकता जब तक महिलाओं की स्थिति नहीं सुधरेगी. पक्षी एक पंख से नहीं उड़ सकता. सीतारमण ने कहा, यह सरकार इस बात में विश्वास रखती है कि महिलाओं की बड़ी भागीदारी के साथ ही हम विकास कर सकते हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी एक सुनहरी कहानी है.
उन्होंने कन्नड समाज सुधारक और दार्शनिक बसवेश्वर के सिद्धांतों और शिक्षाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि सरकार इन सिद्धांतों का अनुसरण करती है. सीतारमण ने जब कर संबंधी प्रस्ताव पढ़ने शुरू किये तो तमिल साहित्यिक कृति ‘पुरनानोरू’ के कुछ अंश पढ़े और अंग्रेजी में उसका अर्थ भी समझाया.