2019 के आधार अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और प्राधिकरण को नोटिस

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 2019 के आधार अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को नोटिस जारी किये. न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2019 और आधार (आधार सत्यापन सेवाओं का मूल्य) विनियमन, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2019 5:14 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 2019 के आधार अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को नोटिस जारी किये.

न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2019 और आधार (आधार सत्यापन सेवाओं का मूल्य) विनियमन, 2019 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर ये नोटिस जारी किये हैं. यह अध्यादेश मार्च, 2019 में राजपत्र में प्रकाशित हुआ था. ये जनहित याचिका सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी एसजी वोम्बाटकेरे और मानव अधिकार कार्यकर्ता बेजवडा विल्सन ने दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस अध्यादेश और विनियमनों से नागरिकों को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन होता है.

याचिका में न्यायालय से यह घोषित करने का अनुरोध किया गया है कि निजी प्रतिष्ठानों, जिनकी आधार आंकड़ों तक पहुंच है, का यह लोक कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करें कि आधार नंबर और उपलब्ध आंकड़े अपने पास संग्रहित नहीं करें. याचिका में दावा किया गया है कि इन विनियमनों से संविधान में प्रदत्त निजता और संपत्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है और इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश के माध्यम से निजी कंपनियों को पिछले दरवाजे से आधार की व्यवस्था तक पहुंच प्रदान करता है और शासन तथा निजी कंपनियों को नागरिकों की निगरानी की सुविधा प्रदान करने के साथ ही ये विनियमन उनकी व्यक्तिगत और संवेदनशील सूचना के वाणिज्यिक दोहन की अनुमति देता है.

याचिका में कहा गया है कि नागिरकों से संबंधित आंकड़ों का व्यावसायीकरण संविधान में प्रदत्त उनके गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है. शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 26 सितंबर, 218 को केंद्र की महत्वाकांक्षी आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध घोषित करते हुए इसके कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया था जिनमें आधार को बैंक खातों, मोबाइल फोन और स्कूलों में प्रवेश से जोड़ना शामिल था.

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