– विभिन्न क्षेत्रों में व्यापारिक संबंधों को मजबूती देने पर हुई चर्चा
ब्यूरो, नयी दिल्ली
भारतीय-कोरियाई संसदीय मंत्री समूह (आइकेपीएफजी) के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश से मुलाकात की. भारत और कोरिया गणराज्य नैसर्गिक भागीदार हैं. दोनों देशों के बीच 2015 से विशेष कूटनीतिक भागीदारी है. रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों के आदान-प्रदान जैसे संबंध काफी प्रगाढ है.
इस मौके पर हरिवंश ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और कोरियाई कंपनियों के लिए, विशेषकर जहाज निर्माण, बंदरगाहों, रक्षा, इस्पात, रसायनों, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में बड़ी संभावनाएं हैं. कोरिया मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्मार्ट सिटी जैसी पहलों में भागीदार बनने और रक्षा क्षेत्र, इस्पात क्षेत्र, पोत परिवहन और समुद्री क्षेत्र में निवेश कर सकता है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा दोनों देश रक्षा प्रौद्योगिकी उपकरण, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक चेन प्रौद्योगिकी, साइबर प्रौद्योगिकी, 5जी आदि क्षेत्रों में सहयोग और सह-उत्पादन कर सकते हैं और वैश्विक बाजार पर अपनी पकड़ बना सकते हैं.
दोनों देशों के बीच संसदीय आदान-प्रदान का उल्लेख करते हुए हरिवंश ने कहा कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के सांसदों का नियमित रूप से एक-दूसरे के देश में आना-जाना हुआ है. विधि निर्माताओं के बीच ऐसा विचार-विमर्श विशेष कूटनीतिक सहभागिता का एक अभिन्न अंग है और यह रिश्तों को गहरा करने और मजबूती देने के लिए हमारी सरकारों के प्रयासों का पूरक है.
उन्होंने आशा व्यक्त की कि कोरिया गणराज्य के प्रतिनिधिमंडल का मौजूदा दौरा हमें इस प्रयास में सहायता प्रदान करेगा. भारत, कोरिया गणराज्य के शीर्ष 10 व्यापार भागीदारों में से एक है और कोरियाई वस्तुओं का छठा सबसे बड़ा निर्यात स्थल है. वर्ष 2018 के कैलेंडर वर्ष में भारत और कोरिया के बीच 21.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का व्यापार हुआ जिसे वर्ष 2030 तक दोगुने से अधिक करने की संभावना है. सोंग यंग-गिल की अध्यक्षता वाले प्रतिनिधिमंडल ने दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध की सराहना की और आशा व्यक्त की कि उनकी यात्रा से दोनों देशों के बीच मौजूदा संबंध और सुदृढ़ होंगे.