अपनों से भी महफूज नहीं आबरू
* राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की सालाना रिपोर्ट में हुआ खुलासा * दुष्कर्म के हर 100 पंजीबद्ध मामलों में से 95 में रिश्तेदारों ने ही अस्मत को किया तार-तार इंदौर : देश में महिलाओं की जान-पहचान के लोग ही उनकी अस्मत के सबसे बड़े दुश्मन बने हुए हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की सालाना […]
* राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की सालाना रिपोर्ट में हुआ खुलासा
* दुष्कर्म के हर 100 पंजीबद्ध मामलों में से 95 में रिश्तेदारों ने ही अस्मत को किया तार-तार
इंदौर : देश में महिलाओं की जान-पहचान के लोग ही उनकी अस्मत के सबसे बड़े दुश्मन बने हुए हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की सालाना रिपोर्ट समाज को आगाह करते हुए बताती है कि वर्र्ष 2013 के दौरान दुष्कर्म के हर 100 पंजीबद्ध मामलों में से करीब 95 प्रकरणों में महिलाओं को उनके परिचितों ने कथित तौर पर हवस का शिकार बनाया. रिपोर्ट में परत-दर-परत अलग-अलग परिचितों के बारे में बताया गया है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट भारत में अपराध 2013 के मुताबिक देश में पिछले साल भारतीय दंड विधान (आइपीसी) की धारा 376 के तहत बलात्कार के कुल 33,707 मामले दर्ज किये गये. इनमें से 94.4 प्रतिशत यानी 31,807 मामलों में आरोपी पीडि़त महिलाओं के जाननेवाले थे. वर्ष 2013 में परिचितों द्वारा दुष्कर्म के 33.9 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीडि़ताओं के पड़ोसी थे, जबकि ऐसे 7.3 प्रतिशत मामलों में महिलाओं की अस्मत को किसी गैर ने नहीं, बल्कि उनके रिश्तेदारों ने ही कथित तौर पर तार-तार कर दिया.
* 52% की उम्र 10 से 18 वर्ष
इस तसवीर का चिंताजनक पहलू यह भी है कि वर्ष 2013 में सगे-संबंधियों की करतूत का शिकार होने वाली 52.2 प्रतिशत पीडि़ताओं की उम्र महज 10 से 18 वर्ष के बीच थी. एनसीआरबी के इन आंकड़ों की रोशनी में जानकारों ने भारतीय समाज के ताने-बाने में आ रही नैतिक गिरावट पर गहरी चिंता जतायी है.
* एक साल में 37% की वृद्धि
एनसीआरबी की सालाना रिपोर्ट भारतीय समाज में नैतिक पतन के डरावने स्तर पर पहुंच जाने का संकेत देते हुए बताती है कि देश में सगे-संबंधियों द्वारा बलात्कार की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. वर्ष 2013 में परिजन या खून के रिश्तेदारों द्वारा बलात्कार के 536 मामले दर्ज किये गये, जो साल 2012 के ऐसे 392 प्रकरणों के मुकाबले करीब 37 प्रतिशत अधिक हैं.
* समाज को करनी होगी बड़ी पहल
राजस्थान उच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश और हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल वीएस कोकजे बताते हैं, परिचितों द्वारा बलात्कार के बढ़ते मामले घोर सामाजिक विकृति के परिचायक हैं. ऐसी घटनाओं पर केवल कानून के बूते रोक नहीं लगायी जा सकती. उन्होंने कहा कि परिचितों द्वारा बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए समाज को ज्यादा बड़ी पहल करनी होगी और घरों में लगातार बिगड़ रहे पारिवारिक माहौल को सुधारना होगा.
* मनोवैज्ञानिक पहलू यह है
मनोचिकित्सक डॉ दीपक मंशारमानी का कहना है कि आम जनजीवन में सेक्स से जुड़े साहित्य और दृश्य-श्रव्य सामग्री का जबर्दस्त प्रसार हो रहा है. खासकर इंटरनेट और सोशल मीडिया के कारण लोगों तक ऐसी सामग्री की पहुंच भी आसान हो गयी है. नतीजतन समाज की दबी हुई अनैतिक यौन इच्छाएं दिनोंदिन विकृत रूप में बलवती हो रही हैं. उन्होंने कहा, ये इच्छाएं लोगों के मस्तिष्क को लगातार दूषित इनपुट भेजकर उकसाती हैं. इससे वे मौका मिलने पर अपनी परिचित महिलाओं का भरोसा तोड़ने में जरा भी नहीं हिचकते और अनियंत्रित यौन उत्तेजना में बलात्कार की वारदात को अंजाम दे डालते हैं.