विश्वविद्यालयों की खराब QS रैंकिंग के कारणों की समीक्षा करेगाा मानव संसाधन विकास मंत्रालय
नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालयों जैसे कई प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित क्यूएस रैंकिंग में उच्च दर्जा हासिल करने में नाकाम रहने के कारणों की समीक्षा करेगा. क्वाकरेली साइमंड्स या क्यूएस रैंकिंग को, शैक्षिक संस्थानों की सर्वाधिक प्रतिष्ठित रैंकिंग प्रणालियों में शामिल किया जाता है. गत सप्ताह […]
नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालयों जैसे कई प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित क्यूएस रैंकिंग में उच्च दर्जा हासिल करने में नाकाम रहने के कारणों की समीक्षा करेगा. क्वाकरेली साइमंड्स या क्यूएस रैंकिंग को, शैक्षिक संस्थानों की सर्वाधिक प्रतिष्ठित रैंकिंग प्रणालियों में शामिल किया जाता है.
गत सप्ताह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बैठक बुलायी थी. इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी, कुलपति और लंदन स्थित प्रतिष्ठित एजेंसी क्वाकरेली साइमंड्स यंग यूनिवर्सिटी रैंकिंग ‘क्यूएस’ के अधिकारी शामिल हुए. यह रैंकिग अकादमिक प्रतिष्ठा, नियोजक प्रतिष्ठा, अध्यापक छात्र अनुपात, अंतरराष्ट्रीय अध्यापकों का होना और अंतरराष्ट्रीय छात्रों का होना सहित छह पैमानों पर विश्वविद्यालयों को आंकती है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने शीर्ष भारतीय विश्वविद्यालयों के गुणवत्ता एवं अन्य मानकों पर खरा उतरने की ओर संकेत किया. साथ ही कहा कि क्यूएस रैंकिंग में इन्हें ध्यान में नहीं रखा गया. उन्होंने अधिकारियों को विश्वविद्यालयों की रैंकिंग को लेकर वजहों को समझने और उन्हें दूर करने के निर्देश दिये.
इस रैंकिंग में आइआइटी बॉम्बे, आइआइटी दिल्ली, और आइआइएससी बेंगलुरु शीर्ष 200 संस्थानों में शामिल हैं. आइआइटी मद्रास, आइआइटी खड़गपुर, आइआइटी कानपुर और आइआइटी रूड़की शीर्ष 400 संस्थानों में शामिल हैं. आइआइटी गुवाहाटी बीते साल की 475वीं रैंकिंग से फिसल कर इस बार 491वें स्थान पर आ गया है.