काटजू का आरोप,तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने किए अनुचित समझौते
नयी दिल्ली : भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने यूपीए सरकार को लेकर आज एक सनसनीखेज खुलासा किया है. काटजू ने खुलासा किया है कि यूपीए सरकार को बचाने के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त मद्रास हाईकोर्ट के जज को प्रमोशन दिया गया था. काटजू का लेख एक अंग्रेजी अखबार में छपी है. इस […]
नयी दिल्ली : भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने यूपीए सरकार को लेकर आज एक सनसनीखेज खुलासा किया है. काटजू ने खुलासा किया है कि यूपीए सरकार को बचाने के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त मद्रास हाईकोर्ट के जज को प्रमोशन दिया गया था. काटजू का लेख एक अंग्रेजी अखबार में छपी है. इस लेख के हवाले से काटजू ने खुलासा किया है कि किस तरह केंद्र सरकार के दबाव में एक भ्रष्टाचारी जज को प्रमोशन दिया गया.
काटजू ने आरोप लगाया कि तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीशों…आरसी लाहोटी, वाईके सभरवाल और केजी बालकृष्णन ने न्यायाधीश, जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप थे, को सेवा में बने रहने देने की अनुमति देकर अनुचित समझौते किये.
मद्रास उच्च न्यायालय में 2004 में मुख्य न्यायाधीश रहे और बाद में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने वाले काटजू ने कहा, तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने अनुचित समझौते किए. न्यायमूर्ति लाहोटी जिन्होंने इसे शुरु किया, फिर न्यायमूर्ति सभरवाल और न्यायमूर्ति बालकृष्णन. ये प्रधान न्यायाधीश हैं जिन्होंने यह समर्पण किया. क्या कोई प्रधान न्यायाधीश राजनीतिक दबाव के आगे समर्पण करने जा रहा है या राजनीतिक दबाव के सामने समर्पण करने नहीं जा रहा ?
काटजू ने कहा कि उन्हें बहुत सी रिपोर्ट मिलीं कि संबंधित अतिरिक्त न्यायाधीश कथित तौर पर भ्रष्टाचार में लिप्त थे और उन्होंने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश लाहोटी से संबंधित न्यायाधीश के बारे में खुफिया ब्यूरो से गोपनीय जांच कराए जाने का आग्रह किया था.
जस्टिस काटजू का आरोप है कि भ्रष्टाचार के आरोपी जज को इसलिए प्रमोशन दिया गया क्योंकि उन्होंने डिस्ट्रिक्ट जज रहते हुए तमिलनाडु के एक बड़े नेता को जमानत दी थी.काटजू का दावा है कि यूपीए सरकार ने ऐसा तमिलनाडु की एक प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी के दबाव में किया, जिस पार्टी का सपोर्ट यूपीए सरकार के अस्तित्व के लिए जरूरी था.
इस लेख में उन्होंने लिखा है कि मैंने मद्रास हाईकोर्ट के जज के खिलाफ आईबी जांच कराने के लिए चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी से आग्रह की थी. लाहोटी ने भी इस आरोप को सही बताया था. लेकिन तमिलनाडु पार्टी के दबाव बनाये जाने के बाद इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार की ओर से खास लाहोटी से मिला गया और सरकार पर खतरे की बात कही गयी. तब जाकर उस भ्रष्टाचारी जज को 1 साल का प्रमोशन दिया गया. इसके अलावे उस जज को बाद में स्थायी भी कर दिया गया.
उन्होंने खुलासा किया है कि जिस भ्रष्टाचारी जज को यूपीए सरकार की ओर से प्रमोशन दिया गया था उसे सुप्रीम कोर्ट ने हटाने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की थी. उन्होंने अपने लेख के माध्यम से बताया है कि उस भ्रष्टाचारी जज का कार्यकाल समाप्त होना था लेकिन उसे यूपीए सरकार के दबाव के कारण एक्सटेंशन दिया गया.
How a corrupt Judge continued in the Madras High Court. http://t.co/vAishBpeom
— Markandey Katju (@mkatju) July 20, 2014
My Experiences as Chief Justice of Madras High Court. http://t.co/CelAdl06lS
— Markandey Katju (@mkatju) July 19, 2014