नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को मंगलवार को बताया कि चूंकि संसद निजी क्षेत्र में ‘आधार’ के स्वैच्छिक इस्तेमाल के लिए आधार संशोधन विधेयक पारित कर चुकी है. इस विषय से जुड़ा अध्यादेश ‘‘प्रभाव में नहीं है. केंद्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ के सामने यह दलील उस याचिका पर दी, जिसमें अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी थी.
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अध्यादेश को इस आधार पर चुनौती दी गयी थी कि यह निजी क्षेत्र में ‘आधार’ के इस्तेमाल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘पलटने’ के लिए लाया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मार्च में आधार से जुड़े उस अध्यादेश को अपनी मंजूरी दी थी, जिसमें मोबाइल सिम कार्ड खरीदने और बैंक खाता खोलने के लिए पहचान पत्र के रूप में आधार के स्वैच्छिक इस्तेमाल की अनुमति दी गयी थी.
इसके बाद, 24 जून को सरकार ने अध्यादेश की जगह आधार एवं अन्य विधि (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया था. लोकसभा ने चार जुलाई को विधेयक को पारित किया और आठ जुलाई को राज्यसभा ने इसे ध्वनिमत से पारित किया था. सरकार की ओर से पेश वकीलों ने सुनवाई के दौरान अदालत से कहा कि दोनों सदन विधेयक को पारित कर चुके हैं. अध्यादेश अब प्रभाव में नहीं है.
हालांकि, अध्यादेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि विधेयक अभी कानून नहीं बना है. अदालत ने दोनों पक्षों को संक्षिप्त में सुनने के बाद इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर की तारीख तय की.