बढ़ रही है महिलाओं में असुरक्षा की भावना, तीन सालों में अपराध के 782466 मामले

नयी दिल्ली: महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और कई बड़े शहरों में रह रही महिलाओं में असुरक्षा की भावना कम होने का नाम नहीं ले रही है. मीडिया में महिलाओं के साथ होने वाले हिंसा की खबरें छायी रहती है. सरकार ने आज बताया कि तीन वर्षो में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2014 4:46 PM

नयी दिल्ली: महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और कई बड़े शहरों में रह रही महिलाओं में असुरक्षा की भावना कम होने का नाम नहीं ले रही है. मीडिया में महिलाओं के साथ होने वाले हिंसा की खबरें छायी रहती है. सरकार ने आज बताया कि तीन वर्षो में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 782466 और बच्चों के खिलाफ 129494 मामले दर्ज किये गए हैं.

लोकसभा में दुष्यंत चौटाला और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2011 में महिलाओं के खिलाफ आपराध के 228650 मामले दर्ज किये गए और दोषसिद्धी की दर 26.9 प्रतिशत रही. वहीं 2012 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 244270 मामले दर्ज किये गए और दोषसिद्धी दर 21.3 प्रतिशत तथा 2013 में 309546 मामले दर्ज किये गए और दोषसिद्धी दर 22.4 प्रतिशत रही.

मंत्री ने बताया कि 2011 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 33098 मामले दर्ज किये गए और दोषसिद्धी दर 34.6 प्रतिशत रही. 2012 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 38172 मामले दर्ज किये गए एवं दोषसिद्धी 29 प्रतिशत रही जबकि 2013 में 58224 मामले दर्ज किये गए और दोषसिद्धी दर 30.9 प्रतिशत दर्ज किये गए.प्रसाद ने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराध से जुडे मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए त्वरित निपटान अदालत समेत अन्य अदालातों का गठन करना भारत के संविधान के तहत राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है.राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस संबंध में त्वरित निपटान अदालत गठित करने में उच्च न्यायालयों की मदद करने का आग्रह किया गया है.

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