संविधान में एक अस्थायी प्रावधान है अनुच्छेद 370 : सरकार

नयी दिल्ली : सरकार ने बुधवार को बताया कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में एक अस्थायी प्रावधान के रूप में शामिल है. गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया, वर्तमान में अनुच्छेद 370 भारत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2019 6:18 PM

नयी दिल्ली : सरकार ने बुधवार को बताया कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में एक अस्थायी प्रावधान के रूप में शामिल है. गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया, वर्तमान में अनुच्छेद 370 भारत के संविधान के भाग 21 (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में जम्मू और कश्मीर के संबंध में एक अस्थायी प्रावधान के रूप में शामिल है. रेड्डी ने बताया कि वर्तमान में अनुच्छेद 35क, संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 1954 में निहित है जिसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जारी संविधान आदेश के माध्यम से जोड़ा गया था. उन्होंने बताया, जम्मू और कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है. भारत के संविधान से संबंधित मामले आंतरिक विषय हैं और उस पर निर्णय लेने का अधिकार केवल भारतीय संसद का है. इस मामले में किसी विदेशी सरकार या संगठन को कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है. एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में रेड्डी ने बताया, जम्मू कश्मीर राज्य सहित भारत का कोई भी नागरिक भारत के संविधान या जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रावधानों के तहत दोहरी नागरिकता के लिए पात्र नहीं है.

दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने पर विचार किया जायेगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका का उल्लेख करते हुए इसे शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा कि इस बारे में आवेदन दायर करें फिर हम गौर करेंगे. इससे पहले, 18 फरवरी को भी उपाध्याय ने अपनी याचिका सुनवाई के लिये शीघ्र सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था.

उपाध्याय ने अपनी याचिका में दलील दी है कि संविधान तैयार किये जाते वक्त यह विशेष प्रावधान अस्थायी स्वरूप का था और 26 जनवरी, 1957 को जम्मू कश्मीर की संविधान सभा भंग होने के साथ ही अनुच्छेद 370 (3) भी खत्म हो गया. याचिका में जम्मू कश्मीर के अलग संविधान को कई आधारों पर मनमाना और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध न्यायालय से किया गया है. याचिका में कहा गया है कि यह देश के संविधान की सर्वोच्चता के खिलाफ और ‘एक राष्ट्र, एक संविधान, एक राष्ट्रगान और एक राष्ट्रीय ध्वज’ के सिद्धांत के खिलाफ है. याचिका में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर का संविधान अवैध है क्योंकि इसे अभी तक राष्ट्रपति की संस्तुति नहीं मिली है जो देश के संविधान के प्रावधानों के अनुसार अनिवार्य है. इस याचिका पर अगले सप्ताह विचार होने की संभावना है.

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